PMLA मामले में एक वर्ष बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर जब्त संपत्ति लौटाने के आदेश पर रोक

=दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले में 365 दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं होने पर जब्त की गई संपत्ति को वापस लौटाने का आदेश दिया गया था।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 11 मार्च निर्धारित करते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा पारित 31 जनवरी के आदेश पर रोक लगा दी।

एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर खंडपीठ सुनवाई कर रही थी।ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने दलील दी कि एकल पीठ के न्यायाधीश के फैसले में कई खामियां थीं इसलिए इसपर रोक लगायी जाए।

उन्होंने आशंका जताई कि इस फैसले को एक मिसाल के रूप में देखा जा सकता है।
एकल पीठ के न्यायाधीश ने फैसले में कहा था कि अदालत के समक्ष किसी भी अपराध केसंबंध में अगर 365 दिनों तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती है तो मामले में जब्त की गयी संपत्ति को अपने अधिकार में रखना संविधान के अनुच्छेद 300 ए का उल्लंघन होगा। अनुच्छेद 300 ए एक व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं करने का कानूनी अधिकार प्रदान करता है।


भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) ने धन शोधन के एक मामले में उसके परिसर से विभिन्न दस्तावेजों, रिकॉर्ड, डिजिटल उपकरणों और 85 लाख रुपये से अधिक मूल्य के सोने व हीरे के आभूषणों की जब्ती के खिलाफ एक याचिका दाखिल की थी।
जब्त की गई संपत्ति के संबंध में किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने के कारण एकल पीठ के न्यायाधीश ने अधिकारियों को याचिकाकर्ता को सामान वापस करने का निर्देश दिया था।

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