ये भी पढ़ें-BJP के ‘हैवीवेट’ उम्मीदवारों पर मुहर, PM मोदी-शाह की सीट तय; भोजपुरी अभिनेताओं की भी लगी लॉटरी – सूत्र
वााराणसी सीट का इतिहास
वाराणसी देश के सबसे पवित्र शहरों में से एक है. वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं. साल 1957 के बाद से, बीजेपी ने सात बार और कांग्रेस ने छह बार इस सीट पर जीत हासिल की है. 1991 के बाद से बीजेपी का रिकॉर्ड बिल्कुल सही रहा है, हालांकि, वह केवल एक बार, 2004 में इस सीट पर कांग्रेस से हार गई थी.
वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र दो प्रधानमंत्रियों- पीएम मोदी और पूर्व पीएम चंद्र शेखर की चुनावी लड़ाई का मैदान रहा है, जिन्होंने 1977 में 47.9% के भारी अंतर से इस सीट पर जीत हासिल की थी. वाराणसी, उत्तर प्रदेश के उन ग्यारह निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जहां समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी ने कभी जीत हासिल नहीं की है.
2014 की रणनीति
वाराणसी सीट पर पीएम मोदी से पहले बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी का कब्जा था. 2014 में, बीजेपी इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि कांग्रेस को बाहर करने और केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का उनका रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा, क्यों कि इस राज्य की लोकसभा में 80 सीटें हैं, जो अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं.
बीजेपी के लिए अपने दम पर पूर्ण बहुमत पाने का रास्ता साफ करने के बाद, वाराणसी सीट को पईएम मोदी ने साल 2019 में एक बार फिर से चुना और उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव के खिलाफ 4.7 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की.
वाराणसी लोकसभा सीट का नंबर गेम
वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में कुल आबादी का 75% हिंदू हैं, 20% मुस्लिम और 5% अन्य धर्मों के लोग हैं. इसकी 65% प्रतिशत आबादी शहरी और 35% ग्रामीण है. कुल लोगों में से 10.1% अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति 0.7% है.
वोट शेयर में उतार-चढ़ाव
पिछले कुछ सालों में जीतने वाले उम्मीदवारों के वोट शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. 1999 में बीजेपी ने 33.4% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी और 2004 में कांग्रेस ने 32.6% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी. 2009 में, मुरली मनोहर जोशी ने 30.5% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी, जो 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए 56.4% और 2019 में 63.6% उससे भी आगे बढ़ने की लड़ाई बन गई.
2014 के बाद वाराणसी में विकास का ग्राफ
पीएम मोदी के कार्यकाल में वाराणसी का बहुत विकास हुआ है, काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना जैसी पहल से वाराणसी के बढ़ते हुए कद को राजनीतिक और सांस्कृतिक दोनों ही स्तर पर देखा जा सकता है. 2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के समय अटकलें लगाई जा रही थीं कि वाराणसी सीट कांग्रेस के पाले में जा सकती है . अटकलें ये भी लगाई जा रही थीं कि प्रियंका गांधी वाड्रा यहां से चुनाव की शुरुआत कर सकती हैं. हालांकि बीजेपी ने भी आधिकारिक तौर पर इस सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन पीएम मोदी के दोबारा वहां से चुनाव लड़ने की संभावना है.
ये भी पढ़ें-“इंटरव्यू तोड़-मरोड़कर पेश किया गया”: नितिन गडकरी का कांग्रेस नेताओं को कानूनी नोटिस