सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. सनातन धर्म में पितृ पक्ष का महत्व बहुत अधिक माना जाता है. सनातन धर्म को मानने वाले लोग पितृ पक्ष के 15 दिनों तक अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान, तर्पण और श्राद्ध जैसे कर्मकांड करते हैं. ऐसा करने से व्यक्ति को उनके पितरों का आशीर्वाद मिलता है लेकिन पितृ पक्ष के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में पितृ अपने परिवार जनों के बीच में आते हैं और विधि-धान पूर्वक पूजा आराधना करने से पितृ जल्द प्रसन्न होते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि पितृपक्ष की अवधि 15 दिनों तक ही क्यों होती है.यह अवधि 20 दिन या 10 दिन का क्यों नहीं होती . चलिए आज हम आपको इस सवाल का जवाब इस रिपोर्ट में बताते हैं.
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस भी किसी व्यक्ति के परिजन की मृत्यु हो जाती है. विवाहित हो अथवा अविवाहित, हो बच्चा हो या फिर बुजुर्ग हो या फिर पुरुष हो मृत्यु होने के बाद उन्हें पितृ कहा जाता कहा जाता है. मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद यमराज 15 दिनों के लिए मृतक की आत्मा को मुक्त कर देते हैं. यही वजह है कि इन 15 दिनों में व्यक्ति अपने पूर्वज को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान श्राद्ध और तर्पण जैसे कार्य करते हैं.
पितरों को होती है मोक्ष की प्राप्ति
धार्मिक दृष्टि से पितृपक्ष के माह में पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं. यह अवधि पितरों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने का भी एक जरिया माना जाता है. इस दौरान तर्पण ,पिंडदान श्राद्ध जैसे कर्मकांड किए जाते हैं. ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है.
नोट: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष के मुताबिक है न्यूज़ 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2023, 20:41 IST