अनूप पासवान/कोरबाः हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, भाद्रपद माह के पूर्णिमा से अश्विन माह की अमावस्या तक के इन 15 दिनों में लोग पितरों को प्रसन्न करने श्राद्ध तर्पण आदि करते हैं. पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भजन करने का विशेष महत्व है, जिसके लिए शास्त्र में नियम भी बताए गए हैं. इस संबंध में पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी से हमने बातचीत की.
उन्होंने कहा कि कोई भी पितृगण शरीर छोड़ने के बाद अपने पुत्र से आशा करते हैं कि उनकी संतान उनको पवित्र कर दे. सच्चा पुत्र वही होता है, जो अपने पितरों को नर्क का वासी होने से रोके. इसलिए हमें शास्त्रों का ज्ञान होना जरूरी है.
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
वहीं पंडित नंदन द्विवेदी ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में अगर हम ब्राह्मण को भोजन कराएं तो उनको एक दिन पहले निमंत्रण देना चाहिए और ब्राह्मण को श्राद्ध भोजन से एक दिन पहले से उपवास करना चाहिए और जो ब्राह्मण गायत्री मंत्र का जाप करता हो, उसे ही श्राद्ध का भोजन करना चाहिए. भोजन कराने से पहले पत्तल पर काले तिल डाल देने चाहिए.
अच्छे मन से ब्राह्मणों को कराएं भोजन
हालांकि, अब ब्राह्मण जल्दी श्रद्धा भोजन करने नहीं जाना चाहते और रही बात एक दिन पूर्व व्रत करने की तो वर्तमान समय की परिस्थिति को देखते हुए जरूरी नहीं समझा जाता. केवल सम्मान पूर्वक एक दिन पूर्व ब्राह्मण को भोजन का न्योता देना चाहिए और अच्छे मन से उन्हें भोजन करवाना चाहिए. जिससे पितरों को शांति मिल सके.
भोजन के लिए सम्मानपूर्वक करें आमंत्रित
ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए बेहद सम्मानपूर्वक आमंत्रित करें और बेहतर होगा कि ऐसे ब्राह्मण को भोजन के लिए बुलाएं, जो उस दिन किसी अन्य श्राद्ध में भोजन करने ना जा रहा हो. श्राद्ध का भोजन बेहद शुद्धता और पवित्रता से बनाएं. इस दिन वह चीजें प्रमुखता से बनाएं जो दिवंगत व्यक्ति को बहुत पसंद थीं. पितरों की रुचि के अनुसार भोजन बनाकर ब्राह्मण को खिलाने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है.
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2023, 12:11 IST