कुंदन कुमार/गया. भगवान विष्णु द्वारा गयासुर को दिए गए वरदान के बाद से ही पितरों को मोक्ष के लिए गया धाम में पिंडदान की परंपरा चल रही है. ऐसी मान्यता है कि जो पुत्र अपने पितरों को तर्पण और पिंडदान करने के लिए गया श्राद्ध करते हैं, उनके पितर तृप्त हो जाते हैं. उन्हें आशीर्वाद देते हैं. सभी सनातनधर्मी अपने पितरों को तृप्त करने के लिए गया श्राद्ध करना आवश्यक मानते हैं. यही वजह है कि गया में सालों भर पिंडदान किया जाता है. खासकर पितृपक्ष के दौरान यहां देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है.
गया श्राद्ध के बाद श्रद्धालु यहां करें दर्शन
विद्वानों का मानना है कि श्राद्ध पक्ष में पितरों के किए तर्पण, पूजन करने से पितृ ऋण खत्म होता है. मोक्ष की प्राप्ति होती है. गया में पूर्वजों का श्राद्ध करने के बाद कोई श्राद्ध करने की आवश्यकता नहीं रहती है, लेकिन कुछ विद्वान आचार्य का मानना है कि गया श्राद्ध के बाद भी श्राद्ध किया जा सकता है. इस विषय पर अधिक जानकारी देते हुए गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि गया श्राद्ध के बाद श्रद्धालु अपने घर लौटने के क्रम में जो भी मंदिर, तीर्थ स्थल आता है वहां पर दर्शन करें.
घर में सत्यनारायण पूजा करवाएं
घर पहुंचने के बाद अपने सभी सगे संबंधी को बुलाकर सत्यनारायण पूजा करवाना चाहिए और अपने हित जनों को गया तीर्थ का वृतांत सुनाए. आपके बातों से वे प्रेरित होकर गया तीर्थ करते हैं तो उनके यात्रा का भी फल आपको मिलेगा. इसके अलावे पंडितों और जरुरतमंद लोगो को घर में बुलाकर अन्न दान करना, भोजन कराना और जब जब पितरों की तिथि आएगी उस दिन पिंड प्रदान करना और जब तक जीवन है अपने पितरों का पिंडदान करते रहना चाहिए.
पिंडदान करते रहना चाहिए
गौरतलब हो कि 28 सितंबर से पितृपक्ष शुरु हुआ था जो 14 अक्टूबर को खत्म होगी. पितृपक्ष महासंगम के दौरान गयाजी मे लगभग 10 लाख यात्री पिंडदान कर चुके हैं. अभी कुछ और श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. पितृ अमावस्या के बाद पितृपक्ष खत्म हो जाएगी. गया श्राद्ध करने के बाद लोगों का मानना होता है कि अब हमारे पितर तृप्त हो गये हैं, इसलिए अब पिंडदान करने की कोई जरुरत नहीं है.
लेकिन यह बात सही नहीं है और तीर्थ यात्रियों को हमेशा अपने पितरों को याद करते रहना चाहिए और पिंडदान करते रहना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : October 12, 2023, 07:03 IST