कुंदन कुमार, गया. गया में पितृपक्ष के 13वें दिन द्वादशी तिथि को भीम गया, गौ प्रचार, गदालोल इन तीन पिंड वेदियों पर श्राद्ध करने का विधान है. मंगला गौरी मंदिर के समीप भष्मकुट पर्वत पर भीम गया वेदी, अक्षयवट वाले रास्ते में गौ प्रचार वेदी है. अक्षयवट के सामने गदालोल वेदी स्थित है, जहां पिंडदान किया जाता है. 13वें दिन के महत्व पर जानकारी देते हुए गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि इन तीनों वेदियों पर पिडंदान का विशेष महत्व है. यहां पिंडदान करने के बाद अक्षयवट में पिंडदान किया जाता है, उसके बाद गया श्राद्ध सम्पूर्ण हो जाता है.
कई सीढ़ियां चढ़कर भीम गया वेदी तक पहुंचते हैं श्रद्धालु
भीम गया वेदी शहर के दक्षिणी क्षेत्र में मंगलागौरी मंदिर जाने वाले रास्ते पर स्थित है. कई सीढ़ियां चढ़कर पिंडदानी भीम गया वेदी तक पहुंचते हैं. कहा जाता है महाभारत काल के बाद भीम ने अपने पितरों की मोक्ष के लिए पिंडदान किया था. भीम ने घुटने के बल बैठकर पिंडदान किया था. भीम के घुटने का निशान आज भी पिंडवेदी के पास देखा जाता है. पिंडदानी गोलाकार जौ का आटा, मधु, गुड़, पंचमेवा, काला तिल और घी मिलाकर पिंडदान करते हैं. भीम गया पिंडदान करने से पितरों के मोक्ष की प्राप्ति होती है.
गौ प्रचार वेदी पर स्वयं ब्रह्माजी ने किया था गोदान
मंगलागौरी से अक्षयवट के रास्ते में गौ प्रचार वेदी स्थित है. यहां स्वयं ब्रह्माजी ने गोदान किया था. गौ प्रचार वेदी में ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था. उन्होंने यहां यज्ञ के दौरान गायों को जिस पर्वत पर रखा था, उसे गोचर वेदी कहा गया. यहां पर्वत पर गाय के खुर के निशान आज भी हैं. यहां ब्रह्मा जी ने पंडा को सवा लाख गाय दान किया था. ऐसी मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को विष्णुलोक की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि यहां ब्राह्मण भोजन कराने से एक करोड़ पंडित को भोजन कराने का फल मिलता है.
भगवान विष्णु ने हेति नामक दैत्य का संहार
पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि गदालोल वेदी पर भगवान विष्णु ने हेति नामक दैत्य का संहार गदा से किया था. गदा को जिस सरोवर में धोया गया, वह गदालोल कहलाता है. यह अक्षयवट के पास स्थित है. इस वेदी के बारे में कहा जाता है कि यहां गदा नाम का असुर पुराकाल में वज्र से दृढ़ तपस्वी एवं दानवीर था. देव कार्य के लिए ब्रह्माजी के मांगने पर उसने अपनी अस्थियां भी दान में दे दी थीं. उन्हीं अस्थियों से विश्वकर्मा जी ने गदा बनाकर स्वर्ग में रख दिया था.
उसी काल में हेति नाम का दैत्य बड़ा बलवान हुआ. उसने देवताओं को जीत कर स्वर्ग का राज्य छीन लिया था. तब देवताओं ने स्वर्ग में रखी वही गदा भगवान को दे दी. भगवान ने उसी गदा से हेति को मार दिया. इसके बाद जिस स्थान पर वह गदा धोया गया उसे गदालोल वेदी कहा गया है. इस गदालोल वेदी में पिंडदान करने से तथा स्वर्ण पिवत्री दान करने से पितरों को सद्गति होती है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2023, 10:35 IST