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एक ही प्रतिमा में काली, दुर्गा, छिन्नमस्तिका, त्रिपुर सुंदरी, बंग्ला, तारा, समेत 10 देवियां मौजूद हैं. इस कारण इन्हें पूर्ण देवी कहा गया. इन्हीं के नाम पर पूर्णिया का नामकरण पड़ा. वहीं मंदिर के बुजुर्ग पुजारी पंडित परमानंद मिश्र और सुबोध मिश्र ने कहा कि माता पुरण देवी की महिमा अपरंपार है. यहां एक साथ दसों महाविद्याओं की पूजा अर्चना होती है. एक ही प्रतिमा में दसों महाविद्याएं विराजमान हैं. यह आपरूपी प्रतिमा है. बाबा हठीनाथ ने 500 साल पहले माता के प्रतिमा को बगल के तालाब से निकलकर विधि विधान के साथ स्थापित किया था.