Paytm Payments Bank के चेयरमैन पद से विजय शेखर शर्मा ने दिया इस्तीफा, बोर्ड सदस्यता भी छोड़ी

Paytm Crisis: विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है. सोमवार को कंपनी ने कहा कि पेटीएम पेमेंटस बैंक ने अपने बोर्ड का पुनर्गठन किया है और विजय शेखर शर्मा ने पार्ट टाइम नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है. पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा की बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवासन श्रीधर, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी देबेंद्रनाथ सारंगी, बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार गर्ग और रिटायर्ड आईएएस रजनी सेखरी सिब्बल को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के तौर पर बोर्ड में शामिल किया गया है. वहीं ओसीएल ने एक बयान में कहा, ‘विजय शेखर शर्मा ने ट्रांजिशन के लिए पेटीएम पेमेंट्स बैंक के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है. पीपीबीएल ने हमें बताया है कि वे एक नए चेयरमैन की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू करेंगे.’

15 मार्च तक है डेडलाइन

मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी चिंताओं, वॉलेट पेटीएम और बैंकिंग यूनिट के बीच सैकड़ों करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन के कारण आरबीआई को पेटीएम पर शिकंजा कसना पड़ा. पहले आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड को किसी भी ग्राहक खाते, प्रीपेड साधन, वॉलेट-फास्टैग में 29 फरवरी, 2024 के बाद जमा या टॉप-अप स्वीकार न करने का निर्देश दिया था. लेकिन बाद में यह समयसीमा 15 मार्च तक बढ़ा दी गई थी. 

RBI ने उठाए थे ये कदम

इससे पहले रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के जरिये बैंक और वॉलेट सेवाओं का फायदा उठाने वाले ग्राहकों और व्यापारियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कुछ जरूरी कदम उठाए थे. केंद्रीय बैंक ने यूपीआई भुगतान के लिए पेटीएम हैंडल (@पेटीएम) का इस्तेमाल कर रहे पेटीएम पेमेंट्स बैंक के ग्राहकों के चार-पांच अन्य बैंकों से जुड़ने की संभावना पर भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) से गौर करने के लिए कहा है. इस पहल का मकसद पेमेंट सिस्टम में किसी भी तरह की रुकावट को रोकना है. आरबीआई ने पेटीएम की सहयोगी यूनिट पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 15 मार्च, 2024 के बाद अपने ग्राहक खातों और वॉलेट में पैसा लेने से रोक दिया है.

हुआ था कई गड़बड़ियों का खुलासा

पेटीएम ब्रांड के मालिक वन97 कम्युनिकेशंस के पास पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है लेकिन वह इसे अपनी सहयोगी के रूप में क्लासीफाई करता है, न कि सब्सिडरी कंपनी के रूप में. दरअसल पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) के पास लाखों गैर-केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) वाले अकाउंट थे और हजारों मामलों में कई खाते खोलने के लिए एक ही पैन का इस्तेमाल किया गया था. कई ऐसे उदाहरण मिले थे, जहां लेनदेन की राशि करोड़ों  में है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं. एक अनुमान के मुताबिक, पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पास करीब 35 करोड़ ई-वॉलेट हैं. इनमें से लगभग 31 करोड़ डीएक्टिव हैं, जबकि केवल लगभग चार करोड़ ही बिना किसी शेष राशि या बहुत कम शेष के साथ एक्टिव होंगे.

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