Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र को लेकर सियासत गर्म, कांग्रेस नेताओं के साथ सोनिया गांधी करेंगी अहम बैठक

Sonia Gandhi

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भारत राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) पार्टियों ने अपनी मुंबई बैठक के दौरान आगामी लोकसभा चुनाव 2024 संयुक्त रूप से लड़ने के अपने संकल्प की घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य एक संयुक्त मोर्चा प्रस्तुत करना और सार्वजनिक चिंता के मुद्दों को प्राथमिकता देना है।

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी संसद के विशेष सत्र की रणनीति पर चर्चा करने के लिए 5 सितंबर को कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की बैठक की अध्यक्षता करने वाली हैं। सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक पांच दिनों के लिए “संसद का विशेष सत्र” बुलाया है। संसद के विशेष सत्र पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ”कल हम संसदीय रणनीति समूह की बैठक बुला रहे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों की बैठक भी बुला रहे हैं। हम संसद सत्र के लिए अपनी रणनीति पर चर्चा करेंगे।” आपको बता दें कि संसद के विशेष सत्र को लेकर राजनीति तेज है।

 

क्या आपात स्थिति थी?

भारत राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) पार्टियों ने अपनी मुंबई बैठक के दौरान आगामी लोकसभा चुनाव 2024 संयुक्त रूप से लड़ने के अपने संकल्प की घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य एक संयुक्त मोर्चा प्रस्तुत करना और सार्वजनिक चिंता के मुद्दों को प्राथमिकता देना है। सूत्रों ने बताया कि “विशेष सत्र” के दौरान 10 से अधिक महत्वपूर्ण बिल पेश किए जाने की संभावना है। कांग्रेस नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमें अभी तक इस पर कोई जानकारी नहीं मिली है। संसद उनकी (केंद्र) अपनी मर्जी से चल रही है। जब शीतकालीन सत्र होना ही था तो इस सत्र को बुलाने की क्या आपात स्थिति थी?

राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का आग्रह

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद बिनॉय विश्वम ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर संसद के आगामी विशेष सत्र के दौरान प्रश्नकाल और शून्य काल नहीं होने को लेकर चिंता जताई। उन्होंने राष्ट्रपति से मामले में हस्तक्षेप करने और ‘संविधान का सरंक्षण, सुरक्षा और रक्षा करने’’ की अपील की। राज्यसभा सदस्य ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि संविधान के तहत परिकल्पित नियंत्रण एवं संतुलन की प्रणाली ‘बड़े खतरे’ में है। भाकपा सांसद ने दावा किया, ‘‘विशेष सत्र के साथ, सरकार यह संदेश देना चाहती है कि ‘संसद में बहुमत ने उसे संसदीय प्रणाली को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम बना दिया है।’’

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