संसद में सुरक्षा चूक का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का कारण बन गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि इस मामले में जो चेहरे सामने आये हैं क्या साजिश उन्होंने ही बुनी या वह सिर्फ मोहरे थे? यदि वह सिर्फ मोहरे थे तो असली साजिशकर्ता कौन है? जिस प्रकार से इस पूरी साजिश को अंजाम दिया गया है उससे यह भी सवाल उठ रहा है कि हमारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही थीं? दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा चूक की घटना के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। अधिकारियों ने बताया है कि घटना के संबंध में संसद मार्ग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 452 (बिना मंजूरी के प्रवेश), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), 186 (लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा पहुंचाना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल करना अथवा हमला) और यूएपीए की धारा 16 तथा 18 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जहां तक इस मुद्दे पर हो रही राजनीति की बात है तो आपको बता दें कि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयान की मांग पर अड़ा है तो दूसरी ओर रक्षा मंत्री ने सुरक्षा चूक की घटना पर लोकसभा में कहा है कि जो घटना हुई, उसकी सबने निंदा की है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्होंने कहा कि घटना के जांच के आदेश दिए गये हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि हम सभी सांसदों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है…इस प्रकार से संसद में अराजक स्थिति पैदा करना उचित नहीं है।
वहीं दूसरी ओर, संसद भवन के अंदर और उसके आसपास सुरक्षा के कड़े कदम उठाए गए हैं। पुलिस तथा संसद के सुरक्षा कर्मचारी परिसर में प्रवेश करने वालों की गहन जांच कर रहे हैं। संसद परिसर से कुछ ही मीटर की दूरी पर परिवहन भवन के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी किसी को भी बैरिकेड से आगे जाने की इजाजत तब तक नहीं दे रहे, जब तक कि वह उनके पहचान पत्र की जांच नहीं कर ले रहे। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को ‘मकर द्वार’ से संसद के नए भवन में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। संगमा अपनी कार से उतरे और इमारत में प्रवेश करने के लिए ‘शार्दुल द्वार’ की ओर चले गए। संसद सदस्यों के वाहन चालकों को पास के बिना परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा। संसद परिसर के प्रवेश द्वार पर मीडिया कर्मियों से उनके परिचय पत्र मांगे जा रहे हैं और उनसे जरूरी सवाल भी किए जा रहे हैं। हम आपको बता दें कि नए संसद भवन के मकर द्वार को सभी के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है और मीडिया कर्मियों को पुराने संसद भवन के गेट नंबर 12 के पास लॉन में भेज दिया गया।
इस बीच, लोकसभा सचिवालय ने संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में आठ कर्मियों को निलंबित कर दिया है। निलंबित किए गए लोगों की पहचान रामपाल, अरविंद, वीर दास, गणेश, अनिल, प्रदीप, विमित और नरेंद्र के रूप में की गई है। हम आपको याद दिला दें कि संसद पर 2001 में किए गए आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को, सुरक्षा में सेंधमारी की बड़ी घटना उस वक्त सामने आई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गए और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया। घटना के तत्काल बाद दोनों को पकड़ लिया गया। इस घटना के कुछ देर बाद ही पीले और लाल रंग का धुआं छोड़ने वाली ‘केन’ लेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले एक पुरुष और एक महिला को गिरफ्तार किया गया। सदन में कूदने वाले दोनों व्यक्तियों की पहचान सागर शर्मा और मनोरंजन डी. के रूप में हुई है। संसद भवन के बाहर से गिरफ्तार किए गए दो लोगों की पहचान हरियाणा के जींद जिले के गांव घासो खुर्द की निवासी नीलम (42) और लातूर (महाराष्ट्र) के निवासी अमोल शिंदे (25) के रूप में हुई है।
दूसरी ओर, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि संसद में कूदने वालों ने पिछले 15 दिन में किससे किससे बात की और कानूनी सलाह किससे ली। उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार संसद में कूदना कोई जघन्य अपराध नहीं है और यह बात उन्हें पता होगी।