प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को नये संसद भवन को आजादी के अमृतकाल का ‘‘ऊषा काल’’ करार दिया और कहा कि ‘‘जब हम नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए।’’
भारतीय लोकतंत्र के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा है। आज संसद की कार्यवाही पुराने भवन से नए भवन में स्थानांतरित हुई है। सोमवार को पुराने भवन में आखिरी दिन की कार्यवाही थी जिसमें उसके इतिहास पर चर्चा की गई थी। आज के दिन की शुरुआत नए संसद भवन में स्थानांतरित होने से कुछ घंटे पहले सामूहिक तस्वीर खिंचवाने के साथ हुई जिसमें राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य पुराने संसद भवन के भीतरी प्रांगण में एकत्रित हुए। इसके बाद सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम हुआ जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता सदन पीयूष गोयल ने संबोधित किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सांसदों ने नई संसद भवन का रुख किया। सभी के हाथों में संविधान की प्रति थी। इस दौरान कुछ उत्साहित सांसदों ने नारे भी लगाए।
लोकसभा की कार्यवाही
इसके बाद नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई। लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने इस ऐतिहासिक क्षण बताया और सभी सांसदों से कार्यवाही में सहयोग की अपील की। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में सभी सांसदों से अतीत की कड़वाहट को भूलकर आगे बढ़ाने की बात कही। इस दौरान अधीर रंजन चौधरी का भी संबोधन हुआ।
– प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को नये संसद भवन को आजादी के अमृतकाल का ‘‘ऊषा काल’’ करार दिया और कहा कि ‘‘जब हम नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए।’’ नये संसद भवन स्थित लोकसभा में अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का नया भवन 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अमृतकाल का ऊषाकाल है, भारत नए भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए। आज गणेश चर्तुथी का शुभ दिन है, इस पावन दिवस पर हमारा यह शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की ओर, एक नए विश्वास के साथ यात्रा को आरंभ करने जा रहा है।’’
– लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को सदन में कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक को पारित कराने के लिए उनकी पार्टी की सरकारों ने कई बार प्रयास किए तथा 2010 में राज्यसभा से पारित विधेयक आज भी जीवित है। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चौधरी के बताए ये दोनों तथ्य गलत हैं कि राजीव गांधी के समय लोकसभा ने महिला आरक्षण विधेयक पारित किया था और 2010 का विधेयक आज भी जीवित है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता अपनी बात वापस लें या फिर साक्ष्य सदन के पटल पर रखें। इसके बाद सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष में नोकझोंक देखने को मिली। नए संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही के पहले दिन चौधरी ने यह भी कहा कि ‘भारत’ और ‘इंडिया’ दोनों एक हैं और इन दोनों में किसी तरह की भिन्नता पैदा करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश
सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया। इस विधेयक को पूरक सूची के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया था। नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है। मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा।
राज्यसभा की कार्यवाही
– भारत के संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा के योगदान की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उच्च सदन के सदस्यों की उदार सोच के कारण ही यह संभव हो पाया कि संख्या बल नहीं होने के बावजूद उनकी सरकार पिछले नौ वर्ष में कुछ कड़े निर्णय कर पायी। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात नये संसद भवन में राज्यसभा की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आज का दिवस यादगार भी है और ऐतिहासिक भी। उन्होंने भारत के संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा के योगदान की चर्चा करते हुए हुए कहा कि संविधान निर्माताओं का यह आशय रहा है कि राज्यसभा राजनीति की आपाधापी से ऊपर उठ कर गंभीर बौद्धिक विचार-विमर्श का केंद्र बने और देश को दिशा देने का सामर्थ्य यहीं से निकले। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में संघवाद की सुगंध भी है उन्होंने कहा कि नया संसद भवन केवल एक नयी ‘बिल्डिंग’ नहीं है बल्कि एक नयी शुरुआत का प्रतीक भी है।
– राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को कहा कि सांसदों को संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक समारोह में खरगे ने इस बात का स्मरण भी किया कि संविधान सभा की बैठकें इसी कक्ष में आयोजित की गई थीं। खरगे ने यह भी कहा कि सांसदों के सामूहिक प्रयासों ने एक राष्ट्र के रूप में भारत के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘संस्था की सफलता संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों को कायम रखने में निहित है। यह विचार कि संस्थाएं पवित्र हैं और सफलता के लिए आवश्यक हैं, यह शासन और विकास में एक बुनियादी सिद्धांत है।’’
– राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को कहा कि सांसदों को संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक समारोह में खरगे ने इस बात का स्मरण भी किया कि संविधान सभा की बैठकें इसी कक्ष में आयोजित की गई थीं। खरगे ने यह भी कहा कि सांसदों के सामूहिक प्रयासों ने एक राष्ट्र के रूप में भारत के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।