Parliament: जब जयराम रमेश की खिंचाई करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा, आप सुपर LoP नहीं हो सकते

jairam ramesh

ANI

चेयरमैन धनखड़ ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि जब मौका मिलता है तो पार्टी नदारद रहती है। उन्होंने रमेश से कहा, ”समस्या यह है कि जब किसी मुद्दे पर बहस, चर्चा और विचार-विमर्श करना होता है, तो आप सदन से बाहर चले जाते हैं।” उन्होंने रमेश से कहा कि वह ”सुपर एलओपी” नहीं हो सकते।

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से हस्तक्षेप करने के लिए कांग्रेस नेता जयराम रमेश की खिंचाई की। धनखड़ ने ‘संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 वर्षों की संसदीय यात्रा’ पर चर्चा के दौरान रमेश को डांटते हुए कहा यह अच्छी आदत नहीं है। आप इस आदत के शिकार हैं। आप सुपर एलओपी नहीं हो सकते। उन्हें सहायता की आवश्यकता नहीं है। धनखड़ की यह टिप्पणी तब आई जब जयराम रमेश और अन्य कांग्रेस नेताओं ने उनसे खड़गे को बोलने देने को कहा। रमेश ने कहा, “आप उनके भाषण पर टिप्पणी क्यों कर रहे हैं? उन्हें बोलने दीजिए… आप लगातार हस्तक्षेप कर रहे हैं।”

चेयरमैन धनखड़ ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि जब मौका मिलता है तो पार्टी नदारद रहती है। उन्होंने रमेश से कहा, ”समस्या यह है कि जब किसी मुद्दे पर बहस, चर्चा और विचार-विमर्श करना होता है, तो आप सदन से बाहर चले जाते हैं।” उन्होंने रमेश से कहा कि वह ”सुपर एलओपी” नहीं हो सकते। जब सभापति ने संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिए कांग्रेस पर सवाल उठाया, तो खड़गे ने कहा कि पार्टी केवल दिवंगत भाजपा नेताओं अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के नक्शेकदम पर चल रही थी, जब वे विपक्ष में थे। भाजपा के विपक्ष में रहने के दौरान दोनों दिवंगत नेताओं के व्यवधान पर दिए गए बयानों का उन्होंने उल्लेख किया। 

खड़गे ने 30 जनवरी, 2011 को उच्च सदन की कार्यवाही के दौरान जेटली की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा, ‘‘संसद का काम चर्चा करना है। जब भी मुद्दों की अनदेखी की जाती है, व्यवधान पैदा करना सार्वजनिक प्रणाली के हित में है। इसलिए संसदीय व्यवधान को अलोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्वराज ने भी लोकसभा में कहा था कि संसद को नहीं चलने देना भी दूसरे शब्दों में लोकतंत्र का एक रूप है।’’ खरगे ने कहा, ‘‘जब हम ऐसा कर रहे होते हैं तो हम पर हमला किया जाता है।’’ सभापति ने उनकी इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘ध्यान से सोचने के बाद मुझे बताइए कि हम कब तक अतीत की मिसाल के आधार पर सदन को बाधित करते रहेंगे? कब तक हम अशांति को सही ठहराते रहेंगे?’’ 

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