पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बड़ा झटका देते हुए मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने से जुड़े विवादास्पद कानून को तो बुधवार को बरकरार रखा, लेकिन स्वत: संज्ञान के क्षेत्राधिकार के तहत तय किए गए मामलों में पीड़ित पक्षों को अपील करने का अधिकार देने से जुड़े इसके पूर्वव्यापी क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।
न्यायाधीशों ने बहुमत के फैसले से कानून को बरकरार रखा गया। वर्तमान प्रधान न्यायाधीश ने भी इस कानून को समर्थन दिया। इस कानून के तहत प्रधान न्यायाधीश को विभिन्न मामलों के लिए पीठों के गठन से वंचित किया गया है।
नए कानून के तहत प्रधान न्यायाधीश एवं दो वरिष्ठ न्यायाधीशों की समिति पीठों का गठन करेगी।
शरीफ 21 अक्टूबर को दुबई से पाकिस्तान पहुंचेंगे। इसके साथ ही नवाज का चार साल से जारी ‘‘स्वनिर्वासन’’ समाप्त होगा।
न्यायालय के इस फैसले से उनकी अयोग्यता के खिलाफ अपील करने की संभावनाओं को झटका लगा है।
प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा की अगुवाई वाली अदालत की एक पूर्ण पीठ ने उच्चतम न्यायालय (कार्यप्रणाली एवं प्रक्रिया) अधिनियम, 2023 को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई पूरी होने के बाद अपना सुरक्षित निर्णय सुनाया।
न्यायालय ने खंडित फैसला सुनाते हुए कानून को बरकरार रखा। कानून का 10 न्यायाधीशों ने समर्थन किया जबकि पांच अन्य ने इसका विरोध किया। इसी के साथ न्यायालय ने कानून के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
बहरहाल, न्यायालय ने इस कानून का पुराने मामलों में क्रियान्वयन खारिज कर दिया।
सात न्यायाधीशों का मानना था कि इसे पूर्व प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए, लेकिन आठ न्यायाधीशों ने पुराने मामलों में लागू नहीं किए जाने का समर्थन किया। न्यायालय के इस फैसले से शरीफ को झटका लगा है।
शरीफ को 2017 में उस समय अयोग्य घोषित कर दिया गया था जब अदालत ने उनके मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और इस फैसले ने उनकी अयोग्यता की समीक्षा के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी।
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