Pakistan: अपनी तीसरी शादी को लेकर ‘बुरे’ फंसे इमरान, गैर-इस्लामिक निकाह करने पर कोर्ट ने भेजा समन

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को एक स्थानीय अदालत ने उनके निकाह से संबंधित मामले में 25 सितंबर को तलब किया. यह मामला बुशरा बीबी से जुड़ा है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद की एक अदालत ने गुरुवार को कहा कि इमरान खान ने बुशरा बीबी के साथ ‘गैर-इस्लामी’ निकाह किया है, जिस वजह से कोर्ट ने उन्हें 25 सितंबर को तलब किया है. रिपोर्ट के अनुसार, सिविल जज कुदरतुल्लाह ने अटक जेल अधीक्षक को जारी एक आदेश में यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इमरान खान को अदालत के सामने पेश किया जाए.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान को तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में डाल दिया गया है. उन्हें 5 अगस्त को लाहौर में उनके ज़मान पार्क आवास से गिरफ्तार किया गया था. सुनवाई के दौरान, न्यायाधीश उक्त मामले की सुनवाई में अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाले पीटीआई अध्यक्ष के वकील की दलीलों की जांच करेंगे.अदालत से समय मांगने पर न्यायाधीश ने इमरान खान के वकील से दलीलें तैयार करने को कहा.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान पर अपनी पत्नी के इद्दत के दौरान कथित तौर पर तीसरी शादी करने का आरोप है.  इद्दत एक इस्लामी शब्द है, जो तलाक लेने के बाद या अपने पति की मृत्यु के बाद किसी और से शादी करने से पहले एक महिला के लिए इंतजार करने की एक अवधि होती है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले जुलाई में, पीटीआई अध्यक्ष ने एक ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ इद्दत अवधि के दौरान कथित तौर पर हुए पहले निकाह के बाद साथ रहने के लिए आपराधिक कार्यवाही की मांग करने वाली याचिका स्वीकार की गई थी.

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द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, 18 जुलाई को इस्लामाबाद में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट कुदरतुल्ला ने 9 पेज का फैसला जारी किया, जिसमें कहा गया कि इमरान खान के खिलाफ उनकी ‘अवैध’ शादी से संबंधित दायर याचिका स्वीकार्य थी. जज ने इमरान खान और बुशरा बीबी को भी अपनी अदालत में पेश होने का निर्देश दिया. 14 जुलाई को इस्लामाबाद के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुहम्मद आजम खान ने मामले को न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया. उन्होंने विवाह की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को अस्वीकार्य घोषित करने वाले एक अन्य सिविल कोर्ट के फैसले को भी खारिज कर दिया. अपनी याचिका में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने कहा कि निजी शिकायत में उल्लिखित आरोप पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 496 के दायरे में अपराध नहीं हैं.

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