One Nation One Election Committee: केंद्र सरकार ने एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है। कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चैधरी, पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद, लाॅ कमीशन के चेयरमैन एन के सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम बैठकों में विशेष सदस्य के तौर पर शामिल होंगे।
लोगों से राय जानेगी कमेटी
कमेटी संविधान के मौजूदा प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर चर्चा करेगी। इसके लिए कमेटी देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों से राय भी लेगी। वहीं इस मामले को लेकर विपक्ष ने अब सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। शुक्रवार को कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार को अचानक इसकी जरूरत क्यों पड़ गई? वहीं छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस देव ने कहा कि निजी तौर पर मैं इस व्यवस्था का समर्थक हूं यह नया आइडिया नहीं है।
भारत सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की जांच के लिए 8 सदस्यीय समिति का गठन किया।
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा एलओपी गुलाम नबी आज़ाद और अन्य को समिति के सदस्य के… pic.twitter.com/VKvt0VxXOU
– विज्ञापन –— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 2, 2023
प्रहलाद जोशी ने किया सरकार का बचाव
इस बीच केंद्रीय संसदीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि विपक्ष को इस मामले में घबराने की आवश्यकता नहीं है। अभी कमेटी का गठन किया गया है। रिपोर्ट आएगी इसके बाद पब्लिक डोमेन चर्चा की जाएगी। समिति बनाने का मतलब यह नहीं हुआ कि यह कल से ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के चीफ चिराग पासवान ने कहा कि हमारी पार्टी सरकार की इस पहल का समर्थन करती है।
विपक्षी दलों को भरोसे में लेना था
इस बीच शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि बीजेपी हमारे गठबंधन से डर गई है। बीजेपी इस पर चर्चा इसलिए कर रही है ताकि असल मुद्दों से ध्यान हटाया जा सके। वहीं सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि अगर सरकार विशेष सत्र लाना चाहता थी कि तो पहले विपक्षी पार्टियों से बात करनी चाहिए थी। अब बिना किसी ऐजेंडे के विशेष सत्र बुलाना समझ से परे हैं।