One Nation-One Election पर ममता बनर्जी ने साफ किया रुख, कमेटी को भेजे पत्र में कहा- हम असहमत नहीं

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा से असहमति व्यक्त की, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति को लिखे पत्र में बंगाल की सीएम ने कहा कि यह अवधारणा भारत की संवैधानिक व्यवस्था की बुनियादी संरचना के खिलाफ होगी। बनर्जी ने यह भी कहा कि 1952 में पहला आम चुनाव केंद्र और राज्य स्तर के लिए एक साथ आयोजित किया गया था।

यह कहते हुए कि अवधारणा स्पष्ट नहीं है और समिति से सहमत होने में बुनियादी वैचारिक कठिनाइयाँ हैं, उन्होंने कहा, “कुछ वर्षों तक ऐसी एक साथ समानता थी। लेकिन तब से समानता टूट गई है।” मुझे खेद है कि मैं आपके द्वारा बनाई गई ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा से सहमत नहीं हो सकता। हम आपके सूत्रीकरण और प्रस्ताव से असहमत हैं। उन्होंने कहा कि वेस्टमिंस्टर प्रणाली में गैर-एक साथ संघीय और राज्य चुनाव एक बुनियादी विशेषता है जिसे बदला नहीं जाना चाहिए। संक्षेप में कहें तो, गैर-एक साथ होना भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की मूल संरचना का हिस्सा है। 

एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव पूरे वर्ष अलग-अलग चुनावों के बजाय एक साथ कराने के विचार पर केंद्रित है। यह प्रथा भारत के लिए नई नहीं है क्योंकि 1967 तक इसका पालन किया जाता था लेकिन बाद में बर्खास्तगी, दलबदल और सरकार के विघटन जैसे कई कारकों के कारण इसे बंद कर दिया गया था। देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावना पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष कोविंद हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक देश एक चुनाव के मतलब को लेकर सवाल किया और कहा, मैं ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में एक राष्ट्र का अर्थ समझती हूं, लेकिन मैं इस मामले में इस शब्द के सटीक संवैधानिक व संरचनात्मक निहितार्थ को नहीं समझ पा रही हूं। क्या भारतीय संविधान एक देश, एक सरकार की अवधारणा का पालन करता है? मुझे डर है, ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जब तक यह अवधारणा कहां से आई इसकी बुनियादी पहेली का समाधान नहीं हो जाता तब तक इस मुद्दे पर किसी ठोस राय पर पहुंचना मुश्किल है।

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