One Nation One Election पर कांग्रेस का बयान, कहा- भारतीय लोकतंत्र को नष्ट करने का व्यवस्थित प्रयास

भारत के संसदीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के एक व्यवस्थित प्रयास के अलावा कुछ नहीं है। संसद का चौंकाने वाला अपमान करते हुए भाजपा ने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष के बजाय एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद को समिति में नियुक्त किया है।

लोकसभा और विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए जाने की संभावना कानून मंत्रालय ने जताई है। इस सुझाव को लकेर गठित आठ सदस्यीय समिति की संरचना की घोषणा हो चुकी है। इस समिति की घोषणा के बाद ही कांग्रेस पार्टी ने भी बयान दिया है। कांग्रेस पार्टी ने इस समिति का सदस्य बनने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष को समिति से बाहर रखने पर भी सवाल उठाया। राज्यसभा में विपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को समिति में नहीं चुने जाने पर भी कांग्रेस ने सवाल खड़ा किया है।

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति “भारत के संसदीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के एक व्यवस्थित प्रयास के अलावा कुछ नहीं है”। “संसद का चौंकाने वाला अपमान करते हुए भाजपा ने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष के बजाय एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद को समिति में नियुक्त किया है।

उन्होंने पैनल को “अडानी मेगा घोटाले, बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और लोगों के अन्य गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने की नौटंकी” कहा। उन्होंने पूछा कि वे उग्र विरोधियों को बाहर करके इस समिति के संतुलन को झुकाने की कोशिश करते हैं। खड़गेजी को बाहर करने के पीछे क्या कारण है?”

इस संबंध में पूर्व केंद्रीय मंत्रीऔर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा ‘पूर्व-निर्धारित और पूर्व-पैक मुद्दा’ प्रतीत होती है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा, “सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस मुद्दे में हितधारक हैं और आठ सदस्यीय समिति बनाने में उनसे परामर्श नहीं किया गया है।” उन्होंने कहा कि इसमें केवल एक विपक्षी नेता को शामिल किया गया है। “इसके अलावा, मैं समिति में केवल एक स्वीकृत संवैधानिक वकील को ही पहचान पा रहा हूँ। चिदंबरम का यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति अधिसूचित कर दी। 

कोविंद के नेतृत्व में बनी समिति

सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की। अधिसूचना में कहा गया है कि समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे और इसमें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह सदस्य होंगे। उच्च स्तरीय समिति में पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी सदस्य होंगे। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे, जबकि कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे।

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