One Nation, One Election: रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल पर विपक्ष ने कहा- यह मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए लाया गया

एक राष्ट्र, एक चुनाव पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अभी तो समिति बनी है, इतना घबराने की बात क्या है? समिति की रिपोर्ट आएगी, फिर पब्लिक डोमेन में चर्चा होगी। संसद में चर्चा होगी। घबराने की बात क्या है?

विपक्ष ने शुक्रवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव के लिए एक पैनल बनाने के फैसले पर भाजपा की आलोचना की और आरोप लगाया कि यह समय से पहले लोकसभा चुनाव कराने की भगवा पार्टी की साजिश है। इस विचार की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में एक समिति बनाने के केंद्र के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, “देश पहले से ही एक है। क्या कोई उस पर सवाल उठा रहा है? हम निष्पक्ष चुनाव की मांग करते हैं, ‘एक देश एक चुनाव’ की नहीं।’ ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का यह फंडा निष्पक्ष चुनाव की हमारी मांग से ध्यान हटाने के लिए लाया जा रहा है… वे (केंद्र) निष्पक्ष चुनाव की हमारी मांग को स्थगित करने के लिए इसे लाए हैं।”

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बनी कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया नियमों और परंपराओ से चलती है… लेकिन अपना कार्यकाल पूरा कर चुके राष्ट्रपति सरकार के प्रति जवाबदेह हो या सरकार द्वारा गठित किसी कमेटी के अध्यक्ष बने हो ऐसा मुझे याद नहीं आता है। आखिर क्यों? शिवसेना(उद्धव ठाकरे गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “इस मुद्दे पर एक कमेटी बनी है, मैं पूछती हूं कि कमेटी महिलाओं की सुरक्षा, किसानों के अधिकारों, महिला आरक्षण, बेरोजगारी पर कब बनेगी? 3 कमेटी रिपोर्ट पहले ही आ चुकी हैं और वे कमेटी रिपोर्ट कहती हैं कि 5 संशोधन करने पड़ेंगे।”

एक राष्ट्र, एक चुनाव पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अभी तो समिति बनी है, इतना घबराने की बात क्या है? समिति की रिपोर्ट आएगी, फिर पब्लिक डोमेन में चर्चा होगी। संसद में चर्चा होगी। घबराने की बात क्या है?…बस समिति बनाई गई है, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह कल से ही हो जाएगा। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि संसदीय व्यवस्था की सारी मान्यताओं को यह सरकार तोड़ रही है। अगर विशेष सत्र बुलाना था तो सरकार को सभी विपक्षी पार्टियों से कम से कम अनौपचारिक तौर पर बात करनी चाहिए थी। अब किसी को नहीं पता है कि एजेंडा क्या है और सत्र बुला लिया गया है। 

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