OMG: श्रीकृष्ण की मूर्ति को श्रीराम बता फंस गयी बिहार पुलिस! कोर्ट पहुंचा मामला, जानें पूरी कहानी

गोपालगंज. श्रीकृष्ण की बाल लीला तो आपने देखी ही होगी. उनकी मोहिनी मूरत को देख कर कोई मोहित रह जाता है. कुछ ऐसा ही हुआ बिहार पुलिस के साथ. थाने में ‘कैद’ श्रीकृष्ण की अष्टधातु मूर्ति की मोहिनी मूर्ति को देख पुलिस भी उनके नाम को भूल गयी. मामला कोर्ट पहुंचा तो जज ने मूर्ति को कोर्ट में पेश करने का आदेश दे दिया. एक मार्च को कोर्ट ने मूर्ति को पेश करने का आदेश दिया है. श्रीकृष्ण, ठाकुर जी और भगवान राम में उलझी बिहार पुलिस की हैरान करनेवाला मामला गोपालगंज जिले का है.

हथुआ थाना के मालखाना से मुक्त होने की आस में श्रीकृष्ण की मूर्ति पड़ी है. अब उनके मुक्त होने की रास्ता साफ हो गया है. बरीराय भान के मंदिर की ओर से अपील पर सीजेएम मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट  ने गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने अभिलेख का अवलोकन करने के बाद हथुआ थाना प्रभारी से कहा कि बरामद मूर्ति कृष्ण की है या राम का. मूर्ति को दो दिनों के अंदर कोर्ट में प्रस्तुत करें जिससे यह पहचान हो सके कि वह राधा कृष्ण की मूर्ति है या राम जानकी की. इसके साथ ही बरामद मूर्ति की तस्वीर सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित करायें ताकि अगर अन्य कोई भी व्यक्ति उस पांच अष्टधातु की मूर्ति के स्वामित्य के संबंध में अपना दावा प्रस्तुत करता चाहता है तो सभी वैध कागजात के साथ एक मार्च को अपना पक्ष कोर्ट में कर सकता है.

कोर्ट इस मामले में अब एक मार्च को सुनवाई के साथ ही मूर्ति को मुक्त करने का आदेश देगा. आवेदन के मुताबिक दिनांक 13-फरवरी 2018 को वरीराय भान ग्राम में सन् 1925 में स्थापित श्री राधाकृष्ण गोपीनाथ मंदिर से अज्ञात चोरों द्वारा श्री राधाकृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति चोरी कर ली गयी. सूचक द्वारा दिये गये लिखित आवेदन पर हथुआ थाना कांड संख्या 31/18 दिनांक 13-2-2018 अज्ञात चोर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी. दिनांक 23 नवंबर 2018 तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय द्वारा सत्य सूत्रहीन बताते हुये अंतिम प्रपत्र संख्या 211/2018 समर्पित कर दी गई. सूचक पर नोटिस के उपरित 28 फरवरी 2019 को न्यायालय द्वारा अंतिम प्रपत्र स्वीकृत कर लिया गया.

बरिरायभान से तालाब से मिट्टी खोदने के क्रम में 13 जून 2023 को  एक अष्टधातु की राधाकृष्ण की मूर्ति बरामद हुई है. जिसे थाना के मालखाना में सुरक्षित रखा गया है. कांड के सूचक ने मूर्ति की पहचान करते हुये उसे अपने मंदिर से चुरा ली गई मूर्ति होने का दावा किया तथा पूजा-पाठ भोग के लिए सौपनें की अपील की. कोर्ट ने अभियोजन पदाधिकारी हीरालाल गुप्ता को सुना. इस संबंध में थाना से पूर्व में रिपोर्ट की मांग की गई थी.

पत्रांक 409/24 दिनांक 20 परवरी 24 द्वारा हथुआ के थाना प्रभारी का रिपोर्ट प्राप्त है. रिपोर्ट में उन्होंने रामजानकी मंदिर की मूर्ति का उल्लेख किया है. साथ ही विपिन विहारी श्रीवास्तव के पक्ष में मुक्त करने की अनुशंसा की है. अब एक मार्च का इंतजार है. कोर्ट के फैसले के बाद तय हो पाएगा किमूर्ति कहां जाएगी और किस भगवान की है.

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