हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा एक तरफा फैसले और करोड़ों का जुर्माना लगाए जाने पर आपत्ति दर्ज की.
सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में अपने आदेश में एनजीटी के काम करने के तरीके पर नाराजगी जाहिर की.
नई दिल्ली. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का गठन देश में पर्यावरण की रक्षा को लेकर मामलों की सुनवाई के लिए किया गया है. यह ट्रिब्यूनल की जिम्मेदारी है कि एक न्यायिक संस्थान होते हुए देश में पर्यावरण से जुड़े मामलों की सुनवाई करे. हालांकि हाल ही में एनजीटी के जजों को सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी झेलनी पड़ी. एक मामले में एनजीटी द्वारा सुनाए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने आपत्ति दर्ज की. सुपीम कोर्ट ने एक असामान्य आदेश में एनजीटी को बार-बार ‘‘एकतरफा निर्णय लेने’’ के लिए फटकार लगाई है और आगाह किया है कि ‘‘न्यायाधिकरण को औचित्य की अनदेखी से बचने के लिए सावधानी से काम करना चाहिए.’’
ये कड़ी टिप्पणियां न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने दिल्ली के एक उद्यम द्वारा दायर अपील पर अपने फैसले में कीं. उद्यम की ओर से दायर अपील में एनजीटी के दो आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसमें पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिए स्वत: संज्ञान के बाद की गई कार्यवाही और बिना सुनवाई का अवसर दिए कंपनी पर जुर्माना लगाया गया था. पीठ ने 30 जनवरी को यह आदेश दिया था, जो बुधवार को कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया.
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न्याय के लिए अपनी उत्साही खोज…
खंडपीठ ने कहा, ‘‘एनजीटी द्वारा बार-बार एकतरफा निर्णय लेना एक प्रचलित मानदंड बन गया है. न्याय के लिए अपनी उत्साही खोज में, अधिकरण को औचित्य की अनदेखी से बचने के लिए सावधानी से काम करना चाहिए.’’ इसमें कहा गया है कि एकतरफा आदेशों का चलन और करोड़ों रुपये का हर्जाना लगाना, पर्यावरण सुरक्षा के व्यापक मिशन में एक ‘‘प्रतिकूल शक्ति’’ साबित हुआ है. पीठ ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि एनजीटी के इन आदेशों को लगातार शीर्ष अदालत से रोक का सामना करना पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप सदस्यों, वकीलों और अन्य हितधारकों द्वारा किए गए ‘‘सराहनीय प्रयासों की पोल खुल गई है.’’
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FIRST PUBLISHED : February 7, 2024, 22:39 IST