NGT ने राज्यों को वायु गुणवत्ता सुधार के लिए और प्रयास करने, कोष का पूर्ण उपयोग करने को कहा

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने बिहार (पटना, पूर्णिया और राजगीर), उत्तर प्रदेश (गाजियाबाद, नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा), पंजाब (बठिंडा), हरियाणा (फरीदाबाद , मानेसर, रोहतक और भिवाड़ी), राजस्थान (टोंक) और मेघालय (बिरनीहाट) में 22 नवंबर से चार दिसंबर तक विभिन्न शहरों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता का जिक्र किया.

न्यायमूर्ति श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि कुछ शहरों में एक्यूआई ‘गंभीर’ एवं ‘बहुत खराब’ हैं जबकि कुछ अन्य शहरों में यह ‘मध्यम’ से ‘गंभीर’, ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ के बीच रहा.

पीठ ने कहा कि दिल्ली में 24 नवंबर को एक्यूआई ‘गंभीर’ था जबकि ज्यादातर दिनों में यह ‘बहुत खराब’ रहा. उसने कहा कि पंजाब में पराली जलाने का सीजन खत्म होने के बाद शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार नजर आया.

पिछले महीने एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ऑनलाइन वायु गुणवत्ता बुलेटिन का संज्ञान लिया था और जिन राज्यों में वायु गुणवत्ता गिर गयी थी अथवा ‘गंभीर’, ‘बहुत खराब’ और ‘खराब’ श्रेणियों में पहुंच गयी थी, उनके मुख्य सचिवों को ‘तत्काल सुधार के सभी संभावित कदम उठाने’ को कहा था.

राज्य प्रशासनों द्वारा दाखिल विभिन्न रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए पांच दिसंबर को अपनी सुनवाई में अधिकरण ने कहा था कि ज्यादातर राज्यों ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम और 15 वें वित्त कार्यक्रम के तहत प्राप्त धनराशि का ‘पूर्ण उपयोग’ नहीं किया.

उसने कहा कि केवल कुछ ही राज्यों ने एक्यूआई निगरानी केंद्रों की स्थापना के लिए धनराशि का उपयोग किया जबकि कुछ अन्य राज्यों में ऐसे उद्देश्यों के लिए यह रकम खर्च की गयी जिनका वायु गुणवत्ता में सुधार से ‘सीधा कोई संबंध’ नहीं था. एनजीटी पीठ ने कहा कि राज्यों को विशिष्ट उद्देश्य के लिए इस धनराशि का तत्परता से उपयोग करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें-  “आधार” से जुड़ा आया नया अपडेट, आईरिस स्कैन से भी कर सकते हैं नामांकन

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *