भारत ने 11 मार्च को स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण मिशन दिव्यास्त्र का परीक्षण किया। मिसाइल अब मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक से लैस है। इस उपलब्धि पर पीएम मोदी ने मिशन दिव्यास्त्र के सफल क्रियान्वयन के लिए डीआरडीओ वैज्ञानिक की सराहना की। एमआईआरवी तकनीक के साथ अग्नि-5 मिसाइल की सफल परीक्षण उड़ान देश की रक्षा को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है। यह प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता सेंसर पैकेज से सुसज्जित है। सिस्टम ने यह सुनिश्चित किया कि पुनः प्रवेश करने वाले वाहन वांछित सटीकता के भीतर लक्ष्य बिंदुओं तक पहुंचें
भारत ने अपने मिशन दिव्यास्त्र के तहत ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल’ (एमआईआरवी) प्रौद्योगिकी के साथ स्वदेश विकसित अग्नि-5 मिसाइल का सोमवार को पहला सफल उड़ान परीक्षण किया और वह ऐसी क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से परीक्षण की गई मिसाइल निर्धारित मापदंडों पर खरी उतरी है।
सूत्रों ने कहा कि एमआईआरवी यह सुनिश्चित करता है कि एक मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई हथियार तैनात कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षण के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को बधाई दी। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मिशन दिव्यास्त्र के लिए डीआरडीओ के हमारे वैज्ञानिकों पर गर्व है जो मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) प्रौद्योगिकी से लैस स्वदेश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का प्रथम उड़ान परीक्षण है।’’ सूत्रों ने कहा कि ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है। यह सुनिश्चित करेगा कि एक ही मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई आयुध तैनात कर सके।
सूत्रों ने बताया कि ‘मिशन दिव्यास्त्र’ परियोजना की निदेशक एक महिला हैं और इसमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। रक्षा मंत्री सिंह ने कहा, ‘‘भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेश निर्मित अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण ‘मिशन दिव्यास्त्र’ का आज सफल परीक्षण किया और वह उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री’ क्षमता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस असाधारण सफलता के लिए हमारे वैज्ञानिकों और पूरी टीम को बधाई।
भारत को उन पर गर्व है।’’ हथियार प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम और उच्च सटीकता वाले सेंसर पैकेज से लैस है। यह क्षमता भारत के बढ़ते प्रौद्योगिकीय कौशल का भी प्रतीक है। अग्नि-5 की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है और इसे देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है। यह मिसाइल चीन के उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक सीमा के तहत ला सकती है। अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की रेंज 700 किमी से 3,500 किमी तक है और पहले ही तैनात की जा चुकी हैं। भारत पृथ्वी की वायुमंडलीय सीमाओं के भीतर और बाहर दुश्मन देशों की बैलिस्टिक मिसाइल को भेदने की क्षमताएं विकसित कर रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को मिशन दिव्यास्त्र के तहत स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को बधाई दी। मुर्मू ने अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण को भू-रणनीतिक भूमिका और क्षमताओं की दिशा में भारत की एक बहुत बड़ी उपलब्धि करार दिया। मुर्मू ने एक्स पर अपने बधाई संदेश में कहा, भारत में विकसित अत्याधुनिक तकनीक की यह कला देश के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक मजबूत कदम है। उन्होंने कहा, मिशन दिव्यास्त्र के तहत अग्नि-5 का सफल परीक्षण भू-रणनीतिक भूमिका और क्षमताओं की दिशा में भारत की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैं इस बड़ी उपलब्धि के लिए डीआरडीओ की टीम को हार्दिक बधाई देती हूं। मुझे यकीन है कि वे उत्कृष्टता और आत्मनिर्भरता की खोज में तेजी से आगे बढ़ते रहेंगे।