Neemuch News: देश की पहली ऐसी जेल जहां गाय के गोबर से बनता है इको फ्रेंडली सामान, वोकल फॉर लोकल को मिल रहा बढ़ावा

नीमच: जिले की कनावटी जेल देश की पहली ऐसी जेल बन चुकी है, जहां कैदी गोबर से कई प्रकार की रोजमर्रा में काम आने वाली सामग्री बना रहे हैं। अब तक कैदी गोबर के मास्क, कागज, खिलौने व राखियां बना चुके हैं। इस तरह गोबर से सामग्री बनाने के मामले में नीमच की जिला जेल देश की पहली जेल बन चुकी है।

नीमच जेल अधीक्षक प्रभात कुमार ने बताया कि एक दिन वे यूट्यूब देख रहे थे, तभी उन्होंने गोबर से मास्क व कैलेंडर बनाने का वीडियो देखा। जिसके बाद उन्होंने नीमच जिले की कनावटी जेल में नवाचार करने की ठानी। इसके लिए जेल अधीक्षक प्रभात कुमार ने जयपुर के रहने वाले भीमराव शर्मा से संपर्क किया। उससे जानकारी ली तो पता चला कि भीमराव शर्मा गोबर से पेपर बनाते हैं। जो कुछ अलग और अनूठा था। भीमराव से नीमच की कनावटी जेल आने का अनुरोध किया। यहां कैदियों व पुलिस अधिकारियों को गोबर से सामग्री बनाने के बारे में बताया।

जेल के कैदियों को इको फ्रेंडली और लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गाय के गोबर से दीपक, स्वास्तिक, मास्क, गमले, मूर्तियां सहित विभिन्न सामग्री बना रहे हैं। इस तरह एक अलग और अनूठी पहल जेल के भीतर की गई है। इससे इको फ्रेंडली को बढ़ावा मिल रहा है। वर्तमान में जिला जेल में करीब 507 कैदी बंद हैं। जो मूलत: मालवा, मेवाड़, पंजाब तथा हरियाणा के हैं। इनमें 27 महिला कैदी हैं। जेल अधीक्षक की कुछ अलग व यूनिक करने की इच्छा ने आज नीमच जिला को देश में एक अलग पहचान दिलाई है।

अधीक्षक ने बताया कि गाय के गोबर के अलावा ऐसा कोई मल नहीं है। जिसका उपयोग पूजा में होता हो। गोबर को हाथ से उठा सकते हैं। गाय के गोबर से विभिन्न सामग्री बनाने की ठानने के बाद नीमच जिला जेल परिसर में गौशाला की शुरुआत की गई। गाय के गोबर से अब जेल की महिला व पुरुष कैदी मूर्तियों के अलावा गोबर से मास्क, स्वास्तिक तथा दीपक सहित विभिन्न वस्तुएं बना रहे हैं। हर त्यौहार पर गोबर की आवश्यकता होती है, इसलिए हमने गोबर से बनी वस्तुओं को बाजार में भेजने की मंसा बनाया। इससे घरों में प्लास्टिक, प्लास्टर ऑफ पेरिस के अलावा केमिकल युक्त मूर्तियों के उपयोग से बच सकेंगे। साथ ही गोबर से बनी मूर्तियां एक अलग प्रकार की ऊर्जा प्रदान करती हैं।

मान्यता है कि गाय के गोबर से कई प्रकार के उपचार होते हैं, गौ मूत्र को आयुर्वेदीक में औषधि के रूप में उपयोग करते हैं। इससे पवित्रता फैलती है। जेल में बंद कैदियों को गाय के गोबर की महत्ता समझाई गई। वैसे भी गाय का गोबर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इस गोबर से कई प्रकार की वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। साथ ही इससे आर्थिक लाभ भी कमाया जा सकता है। अब तक कैदियों ने कई प्रकार की सामग्री का निर्माण किया है। हाल ही में राखी के अवसर पर गोबर की राखियां भी बनाईं। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी है।
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जेल के बाहर ही बना दी गौशाला-
जैन समाज के राष्ट्रीय संत कमल मुनि कमलेश के प्रयासों से कनावटी जेल के बाहर गौशाला का निर्माण कराया था। अब इस गौशाला से गोबर एकत्रित कर विभिन्न सामग्री बनाई जा रही है। गाय के गोबर और इससे बनी हुई चीज आने वाले समय में बाजार में भी देखने को मिलेगी। गोबर से बने मास्क भी काफी कारगर सिद्ध हुए हैं। इनका नष्टीकरण भी आसानी से किया जा सकता है। इससे किसी भी प्रकार का कोई प्रदूषण या कीटाणु नहीं फैलते। गाय के गोबर से बने मास्क विदेश तक भेजे गए हैं। Reporter: Raeksh rathore

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