नई दिल्ली :
नायब सिंह सैनी हरियाणा के नए मुख्यमंत्री होंगे. भाजपा विधायक दल ने नायब सिंह सैनी को अपना नेता चुना है, जिसके बाद आज शाम 5 बजे नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के सत्तारूढ़ गठबंधन में स्पष्ट दरार के बीच मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया. भाजपा विधायक दल की बैठक से पहले खट्टर ने राजभवन में बंडारू दत्तात्रेय को अपना इस्तीफा सौंप दिया. गौरतलब है कि, लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में सीट-बंटवारे के समझौते पर पहुंचने में विफलता के बाद भाजपा और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी के बीच संबंध खराब हो गए हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं हरियाणा के नए मुख्यमंत्री होने जा रहे नायब सिंह सैनी कौन है?
कौन है नायब सिंह सैनी?
ओबीसी समुदाय से आने वाले कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. भाजपा के भीतर सैनी की यात्रा 1996 में शुरू हुई, जब उन्होंने हरियाणा भाजपा के संगठनात्मक ढांचे के भीतर शुरुआत की, 2000 तक राज्य महासचिव के साथ काम किया. रैंकों के माध्यम से प्रगति करते हुए, उन्होंने 2002 में अंबाला में भाजपा युवा विंग के जिला महासचिव की भूमिका निभाई. इसके बाद 2005 में उन्हें अंबाला में जिला अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया.
पार्टी के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें 2009 में हरियाणा में भाजपा किसान मोर्चा के राज्य महासचिव और 2012 में अंबाला भाजपा के जिला अध्यक्ष सहित विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम करने के लिए प्रेरित किया. उनका राजनीतिक करियर तब आगे बढ़ा जब उन्हें 2014 में नारायणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया, जिसके बाद 2016 में उन्हें हरियाणा सरकार में मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. 2019 के लोकसभा चुनावों में, नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के निर्मल सिंह को 3.83 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया.
2014 में पहली बार विधायक बने और मंत्री रहे सैनी को मनोहर लाल खट्टर का विश्वासपात्र माना जाता है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी और जातिगत गणनाओं ने लोकसभा सांसद को हरियाणा भाजपा प्रमुख के पद तक पहुंचा दिया है, क्योंकि जाहिर तौर पर खट्टर चाहते थे कि उनके खेमे का कोई नेता राज्य इकाई का प्रमुख बने.