Navratri : हरसिद्धि मंदिर में रोज जलते हैं दो हजार साल पुराने 1011 दीये, राजा विक्रमादित्य की थीं आराध्य देवी

उज्जैन. आज शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन है. माता की आराधना में भक्तों का सैलाब उज्जैन के माता हरसिद्धि मंदिर में भी उमड़ रहा है. यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है. यहां पर माता सती की दाएं हाथ की कोहनी गिरी थी. पास में ही राजाधिराज महाकाल मंदिर है. इस तरह उज्जैन में शिव और शक्ति दोनों साथ साथ हैं. हरसिद्धि मंदिर के पास ही उज्जैन के राजा विक्रमादित्य का भी स्थान है और माता हरसिद्धि विक्रमादित्य की आराध्य देवी थीं.

नवरात्रि के 9 दिन तक माता हरसिद्धि मंदिर में हजारों लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर के बाहर 1011 दीप माला हैं जो 51 फीट ऊंची और करीब 2000 साल पुरानी हैं. यहां पर श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने के बाद दीप प्रज्वलित करते हैं.

सती की कहानी
शास्त्रों के अनुसार माता सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था जब भगवान शिव ने राजा दक्ष की बेटी से विवाह किया तो वह भगवान शिव से नाखुश थे और अपने अहंकार में शिव का अपमान करते रहते थे. एक दिन राजा दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया था. इसमें सभी देवी-देवता को आमंत्रित किया गया था, लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया. यहां पहुंचने पर माता सती को ये बात पता चली. माता सती को शिव का अपमान सहन नहीं हुआ. उन्होंने खुद को यज्ञ की अग्नि के हवाले कर दिया.

सती की कोहनी गिरी थी
जब भगवान शिव को ये पता चला, तो वे क्रोधित हो गए. वे सती का मृत शरीर उठाकर पृथ्वी का चक्कर लगाने लगे. शिव को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंग के 51 टुकड़े कर दिए. माना जाता है कि जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ. उज्जैन में इस स्थान पर सती माता की कोहनी गिरी थी. इस मंदिर का नाम हरसिद्धि रखा गया.

2000 वर्ष पुरानी दीपमालाएं
माता हरसिद्धि मंदिर में 2000 वर्ष पुरानी दीपमालाएं हैं जो 1011 हैं और 51 फीट ऊंची हैं. इसे प्रज्वलित करने के लिए श्रद्धालुओं की कई महीनों पहले से बुकिंग रहती है. दीपमाला जलाने के लिए श्रद्धालुओं पर करीब 15 हजार रुपए का खर्च आता है. इसके लिए पहले बुकिंग करवानी होती है. दीप स्तंभों पर चढ़कर हजारों दीपकों को जलाना सहज नहीं है. उज्जैन का जोशी परिवार करीब 100 साल से इन दीप स्तंभों को रोशन कर रहा है. दोनों दीप स्तंभों को एक बार जलाने में करीब 4 किलो रुई की बाती और 60 लीटर तेल लगता है. समय-समय पर इन दीप स्तंभों की सफाई भी की जाती है. 6 लोग 5 मिनट में ये 1011 दीप प्रज्जवलित कर देते हैं.

Navratri : हरसिद्धि मंदिर में रोज जलते हैं दो हजार साल पुराने 1011 दीये, राजा विक्रमादित्य की थीं आराध्य देवी

5 मिनट में 1011 दीप प्रज्जवित
माता हरसिद्धि के मंदिर में नवरात्रि के समय शाम 7 बजे आरती होती है. इसके पहले दोनों दीप स्तंभ पर दीप प्रज्ज्वलित करने के लिए एक घंटे पहले से तैयारी शुरू हो जाती है. इसके लिए 6 लोग दीपमाला पर चढ़कर उनकी सफाई और प्रज्वलित करने के लिए जुट जाते हैं. आरती का समय होते ही 1011 दीपों को 5 मिनट में रोशन कर दिया जाता है. जब सभी दीये प्रज्ज्वलित हो जाते हैं तो नजारा देखने के लिए आरती के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहते हैं.

Tags: Navratri Celebration, Ujjain news

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