इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जमानत की अर्जी मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया जिससे मुख्य न्यायाधीश एमपी-एमएलए के आपराधिक मामले देखने वाली उचित अदालत के समक्ष नामित कर सकें।
यह जमानत याचिका मऊ जिले के राम सिंह नाम के एक व्यक्ति की हत्या के मामले में दायर की गई है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने यह आदेश उस समय पारित किया जब प्रदेश के अपर महाधिवक्ता की ओर से इस मामले के न्यायिक क्षेत्र के पहलू को लेकर यह कहते हुए आपत्ति की गई कि चूंकि यह मामला एक पूर्व विधायक से जुड़ा है, इस पर सांसद-विधायक के मामले देखने वाली अदालत द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए।
मुख्तार के वकील के मुताबिक, वर्ष 2009 में मऊ जिले में मुन्ना सिंह नाम के एक ठेकेदार को मार दिया गया था और हत्या के इस मामले में राम सिंह नाम का एक व्यक्ति गवाह था। वर्ष 2010 में राम सिंह की भी हत्या कर दी गई।
इसके बाद, मऊ जिले के दक्षिण टोला पुलिस थाना में एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि हत्या के इस मामले में मुख्तार साजिशकर्ता था।
मौजूदा जमानत याचिका में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि हत्या के इस मामले में मुख्य आरोपी को पहली ही जमानत मिल चुकी है।
इसलिए कथित तौर पर साजिशकर्ता की भूमिका निभाने वाले मुख्तार भी जमानत पाने के पात्र हैं। दूसरी बात, वह इस मामले में करीब 14 साल से न्यायिक हिरासत में हैं। इसलिए उच्चतम न्यायालय के निर्णय के मुताबिक, वह भी जमानत पाने के हकदार हैं।
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