अनुज गौतम/सागर: मध्य प्रदेश का मौसम लगातार बदल रहा है. कभी बारिश तो कभी धूप देखने को मिल रही है. वहीं, बुंदेलखंड में कई जगहों पर ओले आफत बनकर बरसे, जिसमें सबसे ज्यादा प्रभाव टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में देखा गया. यहां सड़क, मैदान, खेत, जंगल सभी जगह बर्फ की सफेद चादर सी बिछ गई. कुछ देर के लिए कुल्लू-मनाली जैसा नजारा दिखा. वहीं, खेतों में खड़ी फसलें तबाह हो गईं.
टीकमगढ़ में 9 MM बारिश
मार्च का महीना शुरू होते ही मौसम का मिजाज भी बदला हुआ है. मार्च की शुरुआत से ही बादलों की आवाजाही और हल्की बूंदाबांदी देखने को मिल रही थी, लेकिन रविवार आते-आते यह बूंदाबांदी किसानों के लिए बर्बादी बनकर बरसी. टीकमगढ़ जिले में 24 घंटे में 9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि 40-50 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चलने के कारण किसानों के खेतों में गेहूं की फसल बिछ गई.
15 मिनट तक ओलावृष्टि
साथ ही ओरछा तहसील के लाड़पुरा, बागन, राधापुर, राजनगर, जमुनिया, टपरियन, चंदरवन, मंजरा, बनगांय गांवों में 15 मिनट तक ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है. खेतों में बिछी फसल को देखकर किसानों में चिंता भी बढ़ने लगी है. सरसों की फसल खेतों में या तो कटी रखी हुई है या कटने के लिए तैयार है. वहीं, दूसरी तरफ गेहूं की फसल भी खेतों में खड़ी है. ऐसे में किसानों को गेहूं और सरसों के दाने खराब होने का डर सता रहा है.
फसल उत्पादन पर असर
कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय सिंह के अनुसार, बारिश और तेज हवाएं चलने से सरसों की फसल में जहां 25 फीसदी से अधिक नुकसान हुआ है, वहीं गेहूं की फसल खेतों में बिछने से इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा. गेहूं की फसल खेतों में बिछने से उत्पादन 8-12 प्रतिशत कम हो जाएगा. क्योंकि गेहूं का दाना भी अब पतला हो जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 09:19 IST