Chhindwara Chaurai Vidhan Sabha Seat Analysis: मध्य प्रदेश में अब कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. भारतीय जनता पार्टी को पिछले चुनाव में महाकौशल में कुछ खास सफलता नहीं मिली थी और छिंदवाड़ा जिले की बात करें तो पार्टी की यहां की सारी सीटों पर हार हो गई थी. चुराई भी एक ऐसी सीट है. जहां पर बीजेपी की हार हुई थी. बता दें कि 2018 में यहां पर कांग्रेस के सुजीत सिंह चौधरी ने भारतीय जनता पार्टी को रमेश दुबे को हराया था और वर्तमान में सुजीत सिंह चौधरी विधायक हैं तो चलिए यहां के समीकरण को समझते हैं…
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पिछले कुछ चुनाव के नतीजे
छिंदवाड़ा जिले की चौरई विधानसभा सीट में जनता ने बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी का मौका दिया है. 2008 के चुनाव में, कांग्रेस के चौधरी मेरसिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार रमेश दुबे को हराकर विजयी हुए थे. हालांकि, 2013 के चुनाव में राजनीतिक रूप से स्थिति बदल गई. इस सीट पर बीजेपी के पंडित रमेश दुबे ने कांग्रेस के चौधरी गंभीर सिंह को हराया था. इस जीत ने इस सीट पर सत्ता में बदलाव किया और कांग्रेस से छीन भाजपा ने विधानसभा सीट हासिल की. वहीं, पिछले चुनाव यानी 2018 में, कांग्रेस के सुजीत सिंह चौधरी भाजपा के रमेश दुबे को हराकर वापस सीट कांग्रेस के लिए जीत ली.
बीजेपी ने एक उम्मीदवार को दिया टिकट
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में, 1990 के विधानसभा चुनावों के बाद से, भाजपा ने ब्राह्मण समुदाय से केवल एक उम्मीदवार, पंडित रमेश दुबे को उम्मीदवार बनाया है. पंडित रमेश दुबे ने 1990, 2003 और 2013 में जीत हासिल की. इसके विपरीत, कांग्रेस पार्टी ने लगातार रघुवंशी जाति से उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जिसके परिणामस्वरूप चार सफल जीत हुई.
चौरई विधानसभा सीट का जाति समीकरण
चौरई विधानसभा सीट पर कुल 196,649 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 101,930 पुरुष मतदाता और 94,718 महिला मतदाता शामिल हैं. चौरई के जातिगत समीकरण की बात करें तो रघुवंशी और लोधी समुदायों के साथ, ब्राह्मण समुदाय विधानसभा सीट पर एक बड़ा वोट बैंक रखता है. चौरई लगभग 36,000 लोधी मतदाताओं, 29,000 ब्राह्मण मतदाताओं और लगभग 24,000 रघुवंशी मतदाता घर हैं. 2018 के मध्य प्रदेश चुनावों के दौरान, चौरई में 86.56% का मतदान हुआ. इसी तरह, 2013 में मतदाताओं की भागीदारी 84.82% तक पहुंच गई, जबकि 2008 में यह 81.3% थी.
चौरई विधानसभा सीट के विधायकों की सूची
1962: थान सिंह हंसा (निर्दलीय)
1967: डी. शर्मा (कांग्रेस)
1972: लक्ष्मीनारायण लालजी प्रसाद(कांग्रेस
1977: बैजनाथ प्रसाद सक्सेना(कांग्रेस
1980: बैजनाथ प्रसाद सक्सेना (कांग्रेस)
1985: बैजनाथ प्रसाद सक्सेना (कांग्रेस)
1990: रमेश दुबे (BJP)
1993: चौधरी मेरसिंह (कांग्रेस)
1998: चौधरी गंभीर सिंह(कांग्रेस)
2003: रमेश दुबे (BJP)
2008: चौधरी मेरसिंह (मसाबजी) (कांग्रेस)
2013: पीटी. रमेश दुबे (BJP)
2018: सुजीत सिंह चौधरी (मास्साब जी) (BJP)