29 सीटों में महिला मतदाताओं ने पुरुष वोटर्स को पछाड़ा
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में 29 में महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं को पछाड़ दिया है. इस साल की शुरुआत में कुल 230 सीटों में से 18 पर पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक महिला मतदाता थीं. लेकिन 10 महीने से भी कम समय में महिला मतदाताओं के प्रभुत्व वाली सीटों का आंकड़ा 61% तक बढ़ गया. दिलचस्प बात यह है कि इनमें भी 29 में से 25 सीटें या तो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं या उनमें आदिवासी वोटर निर्णायक हैं. इन 29 सीटों में, महिलाओं और पुरुषों का लिंगानुपात 1000 से 1044 के बीच है.
नवंबर, 2018 के मुकाबले इस बार 31 लाख से ज्यादा महिला वोटर बढ़ी हैं. ये भी अहम हैं कि इन 29 सीटों में 20 पर कांग्रेस काबिज है, 8 पर बीजेपी,1 पर निर्दलीय मतदाता हैं.
सत्ताधारी दल और विपक्ष ला रहे लोकलुभावन स्कीम
इस बार महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए सत्ताधारी दल बीजेपी और विपक्ष कांग्रेस ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है. चाहे वो ‘लाडली बहना योजना’, ‘नारी सम्मान योजना’ हो या सत्ता रसोई गैस सिलेंडर. वहीं, महिलाओं को सरकारी नौकरी की सीधी भर्ती में 35 प्रतिशत आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है.
खुद को महिला सशक्तीकरण की आवाज़ बता रहे हैं शिवराज चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों जोर-शोर से अपनी सरकार की योजनाओं का बखान कर रहे हैं. हाल ही में सीएम शिवराज के महिलाओं के पैर धोने की तस्वीर भी वायरल हुई थी. उस कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, “मेरी बहनों मैं वचन देता हूं कि तुमने आरती उतारकर दीपक जलाकर भाई का स्वागत किया है, मैं आपके जीवन में कभी अंधेरा नहीं रहने देगा. मैं प्रदेश की बहनों को वचन दे रहा हूं. महिला सशक्तीकरण की आवाज़ हूं मैं… शिवराज हूं मैं…”
आधी आबादी के विकास में अपनी भूमिका- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष
मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा कहते हैं, “हमारी सरकार ने महिलाओं को 33% आरक्षण दिया. 50 प्रतिशत आबादी के विकास में अपनी भूमिका है. ये हमारा विश्वास है. कांग्रेस के लोग बदनाम करने के लिए मीडिया में जाते हैं. आज से 25 साल पहले BJP के नेतृत्व ने अपने संगठन के काम के लिए हैं. हमारी वर्किंग कमेटी में भी 33% से ज़्यादा महिलाएं है. ग्रामीण निकाय, नगर निकाय में अवसर दिये गए हैं. हमारे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बहनों को आरक्षण दिया गया. सरकारी नौकरी की सीधी भर्ती में भी आरक्षण मिलेगा. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रधानमंत्री का संकल्प है.”
महिला का फैसला पूरे परिवार के फैसले पर डालता है असर- सामाजिक कार्यकर्ता
वहीं, महिलाएं इसे सरकार में अपनी भागदारी से जोड़कर देख रही हैं. सामाजिक कार्यकर्ता मीता वाधवा ने कहा, “महिलाएं एक्टिव होने लगी हैं. चीज़ों में भागीदारी करने लगी हैं. ये अच्छी बात है. महिलाओं का वोटिंग पर्सेंटेज बढ़ता जा रहा है. राजनीतिक दलों को ऐसी योजनाओं को फायदा होगा. महिला एक परिवार को प्रभावित करती हैं…महिलाएं बाहर आ रही हैं. काम कर रही हैं. एक महिला का फैसला पूरे परिवार के फैसले को प्रभावित करता है. राजनीतिक दलों को ध्यान रखना चाहिए कि महिला अब समझदार हैं. पार्टियों को सस्टेनेबलटी पर ज़्यादा काम करना चाहिए.”
क्या कहती है कांग्रेस?
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी ने कहा, “जब चुनाव आते हैं, तो भारतीय जनता पार्टी को महिलाएं याद आती हैं. भारतीय जनता पार्टी ने विकलांग पेंशन, वृद्धा पेंशन, महिला पेंशन सब बंद कर दिया. कांग्रेस ने हमेशा से महिलाओं को सशक्त किया है. अगर पंचायतों की बात हो या नगरीय निकाय की सशक्त नारी सशक्त समाज का चेहरा होती है. राहुल गांधी भी पिछड़े वर्ग की महिलाओं की लड़ाई लड़ रहे हैं. आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे हैं.”
चुनाव आने पर हर दल महिलाओं को लेकर बड़ी बड़ी बातें करता है. महिला आरक्षण लागू होने पर इस विधानसभा में 76 महिला विधायक बैठ सकती हैं, लेकिन 230 सदस्यों वाली विधानसभा में इस वक्त सिर्फ 21 विधायक बैठी हैं. यानी 10 प्रतिशत से भी कम. इनमें से 11 बीजेपी से, 10 कांग्रेस से और एक बहुजन समाज पार्टी की महिला विधायक हैं.