शुभम मरमट / उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित त्रिवेणी संग्रहालय मूलरूप से 2016 सिहस्थ में मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग एवं पुरातत्व विभाग के माध्यम से स्थापित किया गया था. महाकाल लोक से इसकी शुरूआत होती है. बता दें कि यह त्रिवेणी संग्रहालय जयसिंहपुरा क्षेत्र में स्थित है. खास बात यह है कि ऐतिहासिक और पौराणिक मूर्तियों का अनूठा संग्रह है, जिसका सनातन से गहरा संबंध है. देश विदेश के कोने कोने से पर्यटक यहां आते हैं.
शेवायन, दीर्घायन एवं कृष्णयन अर्थात यह संग्रहालय शिव, शक्ति और कृष्ण पर आधारित है. यहां तीनों दीर्घायन चित्र व मूर्तिकला में प्रदर्शित है, साथ ही अन्य पौराणिक व लोक संदर्भों का भी संग्रह है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को ज्ञानवर्धक व शोधपरक जानकारी मिलती है.
पुराणों एवं भारतीय सनातन का चित्रण
संग्रहालय में भारतीय सनातन की विविधता देखने को मिलती है. हिमाचल प्रदेश, टांगना, गुलेर, वसोहली आंध प्रदेश, चेरियल पट्टनम, कलमकारी, उड़ीसा ऐसे कई अलग अलग शेलियों में चित्रांकन किया गया हैं. जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बड़ा हीं मोहित करता है.
संग्रहालय में होते है नवाचार
सांस्कृतिक कार्यक्रम, शोध संगोष्टिया, देश दुनिया के विद्वानों को आमंत्रित कर शिव, शक्ति एवं कृष्ण के तत्त्वों की व्याख्यान मालाएं, ऐसे कई तरह तरह के नवाचार यहां त्रिवेणी संग्रहालय में होते रहते है. इसी कारणों से यह त्रिवेणी संग्रहालय यहां आने वाले प्रत्येक पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बनता है.
खुदाई मे मिली है शताब्दियों की मूर्तियां
मध्य प्रदेश के अलग अलग शहरों से कोने कोने से खुदाई में जो मूर्तियां एवं मुद्राएं निकली है उनको यहां स्थापित कर प्रदर्शित किया गया हैं . साथ ही इन मूर्तियों एवं मुद्राओं को अलग अलग कैप्शन के साथ दिखाया गया है. जिससे यह मूर्तियां किन अलग अलग शताब्दियों की है, इनकी क्या कथा है यह जानकारी मिल सके. इस कारण से यह संग्रहालय उज्जैन में आने वाले पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2023, 23:02 IST