दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम. आमतौर पर लोग पुलिस थानों में कदम रखने से परहेज ही करते हैं लेकिन नर्मदापुरम के केसला थाने परिसर में लोग बिना डरे आसानी से आना जाना करते हैं. जिले के केसला थाने में एक प्राचीन कल्पवृक्ष का पेड़ है, जो कौतूहल का विषय बना हुआ है. इसके दर्शन के लिए यहां लोगों की भीड़ लगी रहती है. मान्यता है कि इस वृक्ष के दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है.
थाना स्टाफ का कहना है कि हाइवे से जुड़े होने के कारण आए दिन यहां लोग इस वृक्ष के दर्शन को दूर दूर से आते हैं. कई लोग पूछते हैं कि यह वृक्ष कहां लगा है. कुछ लोग इसकी पत्तियां तो कोई फल-फूल तक लेकर जाते हैं. मान्यता के कारण पुलिसकर्मियों ने यहां एक मढिया भी बनाई है. पुलिसकर्मी बताते हैं कि यह वृक्ष बहुत ही पुराना है. इसे यहां किसने लगाया इसका कोई अधिकृत रिकार्ड नहीं है. हालांकि पुलिसकर्मी भी इस वृक्ष के प्रति बहुत आस्था रखते हैं. कहा जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर की गई कामना जरूर पूरी होती है.
पारिजात ही कल्पतरु
पद्मपुराण के अनुसार पारिजात ही कल्पतरु है. कल्पवृक्ष का वनस्पतिक नाम एडेन सोनिया डिजिडाटा है. इसकी ऊंचाई आयु के अनुसार बढ़ती रहती है. छाल नरम चिकनी लाल भूरे रंग की होती है. पत्तियां गहरी नीली नरम, फूल सफेद और फल पीले होते हैं. इसकी आयु 2000 से 2500 वर्ष की होती है. मान्यता है कि साल के 9 माह इसकी पत्तियां नहीं रहतीं और इसके बीज औषधीय गुणों से भरपूर हैं. फल में विटामिन बी और सी होता है. इसकी पत्तियां जटिल रोगों के इलाज में कारगर मानी जाती हैं.
वेद पुराणों में कल्पवृक्ष का उल्लेख
पंडित सोमेश परसाई ने बताया कि वेद पुराणों में कल्पवृक्ष का उल्लेख मिलता है. कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है. पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है,वह पूर्ण हो जाती है. क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है. पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक कल्पवृक्ष की भी उत्पत्ति हुई थी. समुद्र मंथन से प्राप्त यह वृक्ष देवराज इन्द्र को दे दिया गया था और इन्द्र ने इसकी स्थापना ‘सुरकानन वन’ में कर दी थी.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2023, 17:20 IST