आशुतोष तिवारी/ रीवा: कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का जज्बा और चाहत मन में हो तो रास्ते कहीं न कहीं से मिल ही जाते हैं. कुछ ऐसा ही करके दिखाया है रीवा के एक किसान संत कुमार सिंह ने. किसानी में संत कुमार सिंह की कहानी बेहद दिलचस्प है. संत कुमार का कहना है कि उन्होंने पिता को परंपरागत खेती करते हुए कई वर्षों तक देखा था. परंपरागत खेती में बहुत ज्यादा मेहनत है और उम्मीद के मुताबिक मुनाफा भी नहीं होता है.
अमरूद की खेती से जगी उम्मीद
संत कुमार सिंह ने बताया कि परंपरागत खेती में सही कमाई नहीं होने के कारण वह रात दिन परेशान रहते थे. उन्हें कम मेहनत में ज्यादा कमाई की तलाश थी. उनकी यह तलाश अमरूद की बागवानी के विचार के साथ खत्म हुई. संत कुमार रीवा से तकरीबन 25 किलोमीटर की दूरी पर रायपुर करचूली तहसील अंतर्गत बरेही गांव के रहने वाले हैं.
दूसरे प्रदेशों में भी जाते हैं अमरूद
रीवा के किसान संत कुमार अब तक करोड़ों के अमरूद बेच चुके हैं. उनके अमरूद को खरीदने के लिए मध्यप्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के व्यापारी भी आते हैं. प्रयागराज, मऊ, मानिकपुर, चित्रकूट, मिर्जापुर, बांदा, कौशाम्बी, सोनभद्र, अनपरा आदि जगहों के व्यापारियों की इनके यहां होड़ लगी रहती है. संत कुमार के बाग के इलाहाबादी सफेदा अमरूद की जबरदस्त डिमांड है. इसके अलावा भी कई प्रकार के प्रजाति के अमरूद संत कुमार के बगीचे में हैं.
सालाना 22 से 24 लाख की कमाई
वर्ष 2010 में संत कुमार सिंह ने अमरूद की खेती शुरू की. पहले उन्होंने 4 एकड़ के बंजर खेत में अमरूद बागवानी की. उसके बाद उहोंने 50 हजार से एक लाख रुपए खर्च कर खेत बनाया. तकरीबन 1 हजार अमरूद के पौधे लगाए. कुछ पौधे नष्ट हो गए थे. फिर भी तीन वर्ष बाद 2013 में अमरूद ने पैसे कमाने का मौका दिया. आज संत कुमार सिंह पूरे 26 एकड़ में अमरूद की खेती कर रहे हैं. अमरूद बेचकर सालाना 22 से 24 लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही 10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. शुरुआती लागत को छोड़कर खेती में बिना किसी खर्च के हर साल अच्छी कमाई कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2023, 18:09 IST