MP के इस जिले में होती है पशु देवता की पूजा,मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते हैं आभूषण

आकाश गौर/मुरैना.जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर दूर पशुओं के भगवान कहे जाने वाले कारस देव का धाम बना हुआ है. यहां पशु पालक अपने पशुओं की समस्या लेकर पहुंचते हैं. पुजारी आशाराम बताते है जो भी पशु पालक यह अपनी पशु का दूध या दही चढ़ाकर जाता है, उसका पशु ठीक हो जाता है. उसके पशु को किसी भी प्रकार की खोर (देवता के द्वारा दी जाने वाली परेशानी) है तो वह यहां कारस देव की कृपा से स्वतः ही ठीक हो जाती है.

बता दें कि यहां दो दिन तक मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें पशुपालक पशुधन की सुरक्षा की मन्नते मांगते है. यह मेला भाद्र मास की चतुर्थी व पंचमी दो दिन आयोजित किया जाता है, जिसमें मुरैना के श्रृद्धालुओं के अलावा अन्य जिलों एवम राज्यों से श्रृद्धालु हजारों की संख्या में पहुंचते हैं.

क्या है कारस देव की कृपा
मान्यता यह है कि कारस देव पशुओं की वंशवृद्धि को सुरक्षित रखते हैं, इसलिए ज्यादातर पशु पालक यहां पहुंचते है. जिन लोगों की मन्नतें पूरी होती है वह दूध-दही चढ़ाने के लिए साथ ही यहां मंदिर के भगत/पुजारी को चांदी का कड़ा भी भेंट करते हैं.

प्रसाद में चढ़ता है दूध और दही
यहां इस कारस देव पर पशुपालक केवल एक ही प्रसाद लेकर आते है और वह दूध का उत्पाद होता है यहां मेले के दिन श्रृद्धालु हजारों लीटर दूध और दही चढ़ाकर अपने पशुओं की सलामती की मन्नत मांगते हैं.

प्रशासन भी देखता है मेले के दिन व्यवस्था
मेले की भीड़ को देखते यहां शासन स्तर से भी व्यवस्थाएं संभाली जाती है जिससे भीड़ अनियंत्रित न हो और व्यवस्था बनी रही. वहीं कुछ लोग इस मेले में आए श्रृद्धालुओं के लिए जलपान की व्यवस्था करते हैं और सेवा का मौका उठाते है.

वर्ष में दो बार होता है मेला
कारस देव पर वर्ष में दो बार मेले का आयोजन किया जाता है.साल के शुरुआत में माह महीने में चतुर्थी व पंचमी को और भाद्र माह में भी चतुर्थी व पंचमी को मेला का आयोजन किया जाता है. इसमें पंचमी के दिन बड़ी संख्या में भीड़ पहुचती है और अन्य दुकानदार भी चतुर्थी को ही यह अपना डेरा जमा लेते हैं.

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