अर्पित बड़कुल/दमोह: मप्र के बुंदेलखंड इलाके में पशुपालन प्रमुख व्यवसाय माना जाता है. इसलिए यहां के अधिकतर लोगों ने श्वेतक्रान्ति को ही अपना व्यवसाय बना लिया है. इतना ही नहीं जिले के बहुत ऐसे पशुपालक है, जो दमोह के बाहर भी दूध का व्यवसाय कर रहे हैं.औसतन आंकड़ों की बात की जाए तो मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में तीसरे नंबर पर आता है. प्रदेश में करीब प्रति वर्ष 17108 मेट्रिक टन दूध का उत्पादन किया जा रहा है. वहीं जिले बार आंकड़ों पर नजर डाले तो दमोह जिले में लगभग 4200 संकर गाय, 2 लाख 31 हजार देशी गाय एवं लगभग 71600 भैंस है.जिनसे प्रति वर्ष 319 मेट्रिक टन दूध उत्पादन किया जा रहा है. पशु चिकित्सा सेवाओं की बात की जाए तो लगभग 15300 पशु प्रति चिकित्सालय की दर से कुल 29 पशु चिकित्सालय और 23 पशु औषधालय हैं.
वहीं केंद्र सरकार की पहल पर प्रदेश भर में पशु एम्बुलेन्स सेवा शुरू हो गई है.1962 डायल करने पर पशुपालको के लिए यह सुविधा मिलेंगी.जिससे पशुपालकों के लिए अपनी गाय या भैंस का इलाज कराना पहले से आसान हो जाएगा.दूसरी ओर सड़क पर घायल अवस्था में पड़े मवेशियों का भी तत्काल इलाज हो पाएगा इसके लिए जिले में आठ पशु एंबुलेंस भी मौजूद हैं.जिनमें से जिला मुख्यालय पर एक एम्बुलेंस के अलावा हटा,पटेरा,जबेरा,तेंदूखेड़ा,पथरिया और बटियागढ़ के लिए एक- एक एम्बुलेन्स उपलब्ध कराई गई है.
प्रति वर्ष 319 मेट्रिक टन दूध उत्पादन
नॉडल अधिकारी डॉ संजय पांडये ने कहा कि हमारे क्षेत्र में मूल गोवंशीय नस्ल की गायें पाई जाती है मुख्य रूप से मालवी, निवाड़ी और केनकथा गायें जो होती है उनका प्रतिदिन दूध उत्पादन चार लीटर या अधिक और भारतीय गाय का छह लीटर या उससे अधिक होता है. जो नस्ल हमारे इलाके में आसानी से सर्वाइब नहीं हो पाती जिसके लिए भी प्रयास लगातार जारी है. साथ ही बहुत सी भैसे ऐसी है जो एक बार मे ही 8 से 10 लीटर तक दूध दे देती है जिस कारण ही आज दमोह जिला दुग्ध उत्पादन में दसवें स्थान पर है.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 22:16 IST