MP का ये मंदिर है बेहद खास, यहां पूजा-अर्चना से मिलता है पितरों का आशीर्वाद, श्राद्ध पक्ष में उमड़ रही भीड़

अभिलाष मिश्रा/इंदौर. शहर में एक ऐसा शनि मंदिर है जहां केवल एक दिया जलाने से और बैठकर एक माला जाप करने से पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इससे पितृ देवता प्रसन्न होते हैं. इंदौर के प्राचीनतम शनि मंदिर में पितृपक्ष के अवसर पर शनि देव की विशेष पूजा अर्चना के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. जहां प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक बड़ी संख्या में भक्तजन पितृ पक्ष के अवसर पर शनि देव की आराधना के लिए और पितरों की शांति की कामना लेकर मंदिर पहुंच रहे हैं.

इंदौर के प्राचीनतम शनि मंदिर में पितृपक्ष के अवसर पर मंदिर में पूजा और आराधना की परंपरा काफी पुरानी है. मंदिर के मुख्य पुजारी नीलेश तिवारी ने बताया कि हमारे सनातन धर्म में पितृ पक्ष का बड़ा ही महत्व होता है. हमारे पितर जो पितृ लोक में वास करते हैं, वे सभी 16 दिनों में यानी पूर्णिमा से लेकर सर्व पितृ अमावस्या तक पृथ्वी पर वास करते हैं. इस अवधि में पृथ्वी पर उनका आना जाना होता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य हो जाता है कि वे अपने पितरों को पूर्ण विधि-विधान से संतुष्ट करें. ताकि उनके पितर संतुष्ट होकर अपने आगे की यात्रा को प्रारंभ कर सकें. उन्होंने बताया कि हजारों- लाखों किलोमीटर की यात्रा आसान नहीं होती. वैसे ही धार्मिक मान्यता है कि वर्ष में केवल पितृ पक्ष पर ही हमारे पितर पितृलोक से यात्रा करके पृथ्वी तक बड़ी उम्मीदों के साथ आते हैं.

यह उपाय करने से मिलती है पितरों की विशेष कृपा
कोई भी व्यक्ति अपने पितरों की संतुष्टि और शांति के लिए प्रेम पूर्वक उनका तर्पण करता है, उनका श्राद्ध करता है, उनकी अधूरी इच्छाओं को पूरा करता है, तो उसे व्यक्ति के ऊपर पितृ देवता काफी प्रसन्न होते हैं और प्रसन्न होकर उस व्यक्ति को अपना विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इसलिए सभी व्यक्तियों को पितृपक्ष और पितृपक्ष अमावस्या पर अपने पितरों और पूर्वजों के लिए आवश्यक रूप से हवन तर्पण करने का विधान बनाया गया है.

शनिदेव मृत्यु के देवता यमराज के भाई
पुजारी का कहना है कि शनिदेव मृत्यु के देवता यमराज के भाई हैं. साथ ही वह कर्म फल प्रदाता हैं. शनि देव जीवन के अनुसार कर्म फल प्रदान करते हैं. शनि देव मुक्ति और मोक्ष का द्वार भी खोलते हैं इसलिए पितृपक्ष पर प्रतिदिन शनि देव के मंदिर में सरसों के तेल का दिया लगाने से और रोज एक माला शनि देव के नाम की जपने से और शनि देव से पितरों की मुक्ति की कामना करने से पितरों का कल्याण होता है. विशेष रूप से पितरों का समय दोपहर 12 बजे या सवा 12 का होता है. इस समय पितरों को समर्पित कर शनिदेव की एक माला जरूर करनी चाहिए.

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