पन्ना. आप भी अगर जल्द करोड़पति बनना चाहते हैं या हीरों का कारोबार करना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के पन्ना आइए. यहां आपको ब्रेकफास्ट की कीमत पर हीरों की खदान मिल जाएगी. अगर आपकी किस्मत अच्छी हुई तो आप एक ही साल में करोड़पति हो जाएंगे. हीरों की नगरी पन्ना ऐसे कई मजदूरों की कहानियों से भरी हुई है, जो हीरों की खदान से फर्श से अर्श पर पहुंच गए. आज उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी है. अगले साल हीरों की नीलामी होनी है. इस नीलामी में देश-विदेश के कई व्यापारी शिरकत करेंगे. आप इस ऑक्शन को देखने भी आ सकते हैं. यह पूरी प्रक्रिया फिलहाल ऑफलाइन है. सरकार जल्द इसे ऑनलाइन करने की व्यवस्था कर रही है.
गौरतलब है कि, पन्ना में होरों की सबसे बड़ी खदान है. यहां देश का कोई भी नागरिक हीरों की खदान पट्टे पर ले सकता है. खदान लेने के कुछ नियम हैं. इन नियमों के मुताबिक, खदान लेने वाला (स्थानीय भाषा में तुआदार) भारत का व्यक्ति होना चाहिए. उसके पास आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट जैसे भारतीय पहचान पत्र होने चाहिए. उसे यह सब कागजात लेकर पन्ना के कलेक्ट्रेट आना होगा. यहां उसे हीरा कार्यालय में संपर्क करना होगा. यहां मौजूद कर्मचारी उसे करीब 250 रुपये लेकर खदान लेने का फॉर्म दे देगा. फॉर्म भरने के दो से तीन बाद हीरा कार्यालय उसे 8 मीटर बाय 8 मीटर की खदान पट्टे पर देगा. यह खदान एक साल के लिए पट्ट पर मिलेगी. अगर किसी शख्स को एक साल से ज्यादा के लिए खदान चाहिए तो उसे इसका रिन्यूअल कराना होगा.
इस तरह तलाशते हैं हीरे
बता दें, खदान को पट्टे पर लेने वाला व्यक्ति या तो खुद खुदाई कर सकता है, या मजदूरों को लगा सकता है. खुदाई के दौरान मिट्टी को वेस्ट मटेरियल में फेंक दिया जाता है. कंकड़ रहित मिट्टी आने पर उसमें हीरा मिलने की संभावना होती है. कंकड़ रहित मिट्टी को इकट्ठा करके रखा जाता है. बाद में उसकी गेहूं की तरह धुलाई होती है. गड्ढ़ा करके दोना बनाया जाता है. धुलाई करने के बाद हीरा मिल जाता है. बड़ा हीरा अगल ही दिखाई देता है. इसके बाद हीरे को खनिज विभाग के कर्मचारी के साथ हीरा कार्यालय में जमा कराना पड़ता है. यहां मौजूद वैल्युअर हीरे की कीमत आंकता है. कीमत का अंदाजा होने के बाद दस प्रतिशत की राशि तत्काल खदान लेने वाले के अकाउंट में जमा कर दी जाती है. इसके बाद हीरे को खुली नीलामी के लिए रखा जाता है. इस नीलामी में इसमें देश-विदेश के हीरा-व्यापारी आकर बोली लगाते हैं. हीरा बिकने के बाद कुल हीरे की कीमत का 12 प्रतिशत रॉयलटी काटकर बाकी रकम खदान लेने वाले को दे दी जाती है.
जनवरी 2019 में मोतीलाल प्रजापति को उथली खदान से एक बेशकीमती हीरा मिला. मोतीलाल ने सोचा भी नहीं था की सरकारी विभाग ऑक्शन में रखकर उसकी बोली इतनी ऊपर जाएगी कि वह रातों रात करोड़पति बन जाएगा. यह हीरा सरकारी नीलामी में झांसी की राहुल अग्रवाल एंड कंपनी ने 2 करोड़ 55 लाख में खरीदा.
पन्ना नगर के वार्ड नं 27 पुरषोत्तमपुर की रहने वाली गेंदा बाई को जुलाई 2022 में 4 कैरेट 39 सेंट का हीरा मिला. महिला ने हीरा कार्यालय में पहुंचकर इस हीरे को जमा करवा दिया. इस हीरे की अनुमानित कीमत 20 लाख रुपए थी.
मजदूर प्रताप सिंह यादव को मई 2022 में हीरा मिला. इस हीरे का वजन 11.88 कैरेट था. इसकी अनुमानित कीमत करीब-करीब 50 लाख रुपये थी. यह हीरा जेम्स क्वालिटी का था. इसे उच्च किस्म का हीरा माना जाता है.
सुशील शुक्ला फरवरी 2022 में 26.11 कैरेट का हीरा मिला. इसकी कीमत 1 करोड़ 62 लाख रुपये थी. इस मौके पर सुनील शुक्ला ने कहा था कि मैं 20 साल से हीरों की खदान लगा रहा हूं. इसके लिए दिन-रात एक कर दिया. अब जाकर मेरा सपना सच हुआ है.
गरीब मजदूर रामप्यारे विश्वकर्मा को फरवरी 2021 में 14.09 कैरेट का बेशकीमती हीरा मिला था. इसकी कीमत 70 लाख रुपये थी.
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FIRST PUBLISHED : December 14, 2023, 10:58 IST