
सीएम ने सेंधवा में किया ऐलान
एमपी में 15 नवम्बर को पेसा एक्ट लागू हुआ है। जिसके बाद आदिवासी बेल्ट को फोकस करते हुए सीएम जन सभा में एक्ट की जानकारी दे रहे हैं। सेंधवा में हुई सभा में उन्होंने सामान नागरिक संहिता को लेकर भी बड़ा बयान दिया। बोले कि इसे लागू करने जल्द एक कमेटी बनेगी। इस कोड को लागू करने का पक्षधर बताते हुए उन्होंने कहा कि अब कोई भी जनजातीय बेटी छल, कपट और धोखे के शिकार नहीं होगी।
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मामा अब ऐसे लोगों को लटकाएगा छोड़ेगा नहीं
जनसभा में कॉमन सिविल कोड की वकालत करने के पीछे की कुछ वजहें भी बताई। बोले कि आदिवासियों की जमीन हड़पने कई बार बड़े-बड़े खेल हो जाते है। उनकी बेटी से शादी कर लेते है, फिर उनके नाम से जमीन ले लेते है। कुछ तो ऐसे है जो सरपंची का चुनाव तक लड़वा देते है यानि ‘सरपंच तुम बन जाओं और मैं पैसा खा जाऊं’। सीएम बोले कि अब ऐसे लोगों को मामा लटकाएगा, छोड़ेगा नहीं। इसलिए मैं जागरण की लाख जगाने आया हूं।
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देश के ये राज्य भी कर चुके है ऐलान
उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश के बाद हाल ही में गुजरात में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को घोषणा हुई। बीते एक पखवाड़े में असम और कर्नाटक सरकार ने भी कुछ इसी तरह के संकेत दिए हैं। अब एमपी भी इस कतार में खड़ा हो गया है। जन सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऐलान के बाद सरकार के मंत्रियों ने भी फैसले का स्वागत किया है। मंत्री अरविंद भदौरिया बोले कि सीएम की सोच और बयान सही है। इसे वह अमल में लाएंगे । आदिवासियों की जमीन कब्जाने के नीयत से कुछ लोग उनके समाज की बेटी से शादी कर लेते है। सरकार के इस निर्णय से ऐसे मामलों में रोक लगेगी।

यह केवल पार्लियामेंट कर सकता है
एमपी में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कमेटी बनाने के बयान के बाद सियासत भी तेज हो गई हैं। कांग्रेसी नेता कह रहे है कि अगले साल विधानसभा चुनाव है। इस तरह के फैसले के पीछे वोटो का ध्रुवीकरण छिपा है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील विवेक कृष्ण तन्खा का कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले में फैसला सिर्फ पार्लियामेंट ले सकता है, सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार हलफनामा दे चुकी है।