Monk Fasting: ऋषि सुनक भी करते हैं 36 घंटे वाली ये फास्टिंग, क्या आपके लिए सही है, जानिए | Monk fasting kya hai benefits monk fasting fayde in hindi rishi sunak | Patrika News

मॉन्क फास्टिंग कोई नया ट्रेंड नहीं है। यह सदियों से हमारी परम्पराओं में रचा-बसा फिटनेस का खास नुस्खा है जिसे कभी भिक्षु और साधु किया करते थे। इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़ा माना जा सकता है, लेकिन ये एक खास तरह का उपवास होता है जो ज्यादातर 5:2 डाइट पर आधारित होता है।

Monk Fasting kya hai: मॉन्क फास्टिंग कोई नया ट्रेंड नहीं है। यह सदियों से हमारी परम्पराओं में रचा-बसा फिटनेस का खास नुस्खा है जिसे कभी भिक्षु और साधु किया करते थे। इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़ा माना जा सकता है, लेकिन ये एक खास तरह का उपवास होता है जो ज्यादातर 5:2 डाइट पर आधारित होता है। इसमें व्यक्ति हफ्ते में पांच दिन सामान्य रूप से भोजन करता है और बचे हुए दो दिनों में 300-500 कैलोरी तक लेता है। इसकी उत्पत्ति इस उपवास की उत्पत्ति प्राचीन मठवासी परम्पराओं से हुई है जहां इसे आध्यात्मिक शुद्धि और अनुशासन के लिए उपकरण की तरह उपयोग करते हैं।

यह फायदे (Monk Fasting Benefits)

निरंतर पाचन प्रक्रिया को आराम देता। इच्छाशक्ति को बढ़ाता। अनुशासित व्यक्ति बनाता।
आपको मजबूत निर्णय लेने वाला बनाता। वजन को नियंत्रित करता।

किसे नहीं करना चाहिए

गर्भावस्था में इस उपवास का अभ्यास करने से बचें। भोजन छोडऩा और कैलोरी को इस तरह से सीमित करना डायबिटीज, लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर जैसी स्थितियों वाले लोगों या दवाएं लेने वालों के लिए खतरनाक हो सकता है।

ब्रिटेन के पीएम भी करते हैं

ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक भी मॉन्क फास्टिंग करते हैं। वह रविवार शाम से भोजन छोड़ देते हैं। सोमवार को कुछ नहीं खाकर केवल पानी, ब्लैक टी का सेवन करते हैं। मंगलवार सुबह नाश्ते के वक्त तक उपवास रखते हैं। –

क्या है मॉन्क फास्टिंग

यह आत्मनियंत्रण व आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करता है। 36 घंटों तक भोजन से परहेज करने का उद्देश्य ध्यान बढ़ाना व आध्यात्मिक सार के साथ गहरा संबंध स्थापित करना था।

कैसे करते हैं यह उपवास

इसमें भोजन से परहेज करने के चक्र और उसके बाद खाने की अवधि शामिल होती है। यह इंटरमिटेंट फास्टिंग या वैकल्पिक दिन के उपवास का एक रूप है जिसमें प्रति सप्ताह एक बार 36 घंटे तक केवल पानी या अन्य कैलोरी पेय शामिल हैं।

इसमें फोकस न केवल शारीरिक फायदों जैसे वजन कम करने बल्कि मानसिक अनुशासन और आध्यात्मिक विकास पर भी होता है। उपवास से पहले व बाद में इसे अपनाने के दौरान कैलोरी का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। चूंकि इस फास्टिंग के दौरान कम कैलोरी ली जाती है तो हो सकता है कि आपको भूखे रहने से थकान, नींद, सिरदर्द या कमजोरी का सामना करना पड़े

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