Mohan Bhagwat Birthday: 73वें बसंत में पहुंचे RSS प्रमुख मोहन भागवत, विरासत में मिले संघ को समर्पित कर दिया जीवन

दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संस्थान माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 6वें प्रमुख मोहन भागवत आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। मोहन भागवत एक ऐसा नाम हैं, जो किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं।

आज यानी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। बता दें मोहन भागवत एक ऐसा नाम हैं, जो किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं। मोहन भागवत दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संस्थान माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 6वें प्रमुख हैं। इनका पूरा नाम मोहनराव मधुकरराव भागवत है। उन्हें 21 मार्च, 2009 को उन्हें संघ के सरसंघचालक के तौर पर चुना गया था। आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर मोहन भागवत के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

जन्म और शिक्षा

महाराष्ट्र के चन्द्रपुर नामक एक छोटे से नगर में 11 सितम्बर 1950 को मोहन भागवत का जन्म हुआ था। मोहन भागवत के पिता का नाम मधुकरराव भागवत और माता का नाम मालतीबाई है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा चन्द्रपुर के लोकमान्य तिलक विद्यालय से पूरी की। इसके बाद उन्होंने चन्द्रपुर के जनता कॉलेज से बीएससी की शिक्षा हासिल की। फिर  पंजाबराव कृषि विद्यापीठ, अकोला से पशु चिकित्सा और पशुपालन में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। 

नौकरी

यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद कुछ समय तक सरकारी नौकरी भी की है। बता दें कि पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के एनिमल हसबेंडरी विभाग में बतौर वेटनरी ऑफिसर काम करने लगे। हालांकि नौकरी की शुरूआत में उनकी पोस्टिंग चंद्रपुर में हुई थी। 

आरएसएस से रहा रिश्ता

बता दें कि मोहन भागवत को अपने परिवार से ही स्वयंसेवक से सरसंघचालक तक के सफर में संघी बनने की प्रेरणा मिली। उनके दादा नारायण भागवत और पिता मधुकर भागवत का राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़ाव रहा। मोहन भागवत के पिता मधुकर भागवत ने गुजरात में कुछ साल आरएसएस के प्रचारक के रूप में भी काम किया था। लालकृष्ण आडवाणी को आरएसएस से जोड़ने की कड़ी मधुकर भागवत ही थे। 

आरएसएस प्रचारक

साल 1974 में जब मोहन भागवत पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए अकोला गए, तो उस दौरान कुछ समय बाद साल 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई। ऐसे में मोहन भागवत ने अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया और संघ के प्रचारक के तौर पर काम करने लगे। आपातकाल का विरोध करने पर भागवत के माता-पिता को जेल में डाल दिया गया। इस दौरान मोहन भागवत अज्ञातवास में रहे। 

जिसके बाद साल 1991 में मोहन भागवत आरएसएस के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख बने। जिसके बाद साल 1999 तक वह इसी पद पर आसीन रहे। साल 1999 में उन्हें पूरे देश के संघ प्रचारकों का प्रमुख बनाया गया। वहीं तत्कालीन संघ प्रमुख राजेन्द्र सिंह और तत्कालीन सरकार्यवाह एच. वी. शेषाद्री ने स्वास्थ्य कारणों से साल 2000 में अपना पद छोड़ दिया। जिसके बाद संघ का नया प्रमुख एस सुदर्शन को बनाया गया और मोहन भागवत को सरकार्यवाहक बनाया गया। वहीं साल 2009 में एस सुदर्शन द्वारा इस पद को छोड़ने के बाद मोहन भागवत को आरएसएस का सरसंघचालक बनाया गया। 

अच्छे गायक व वादक हैं भागवत

आपको बता दें कि मोहन भागवत अच्छे गायक और वादक भी हैं। उन्होंने संघ में कई गीत लिखे हैं और घोष में रचना की है। वह बांसुरी के काफी अच्छे वादक हैं। इसके अलावा उनको कई भाषाओं की जानकारी है। मोहन भागवत की हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्ला भाषा पर काफी अच्छी पकड़ है। भागवत ने संघ कार्य की दृष्टि से कई देशों की यात्रा की है। 

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