Mohan Bhagwat ने कहा, सनातन से ही चल रहा संसार, इसे नष्ट करने की बात करना कुल्हाड़ी पर पैर रखने के समान

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मोहन भागवत के अलावा इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ और योगगुरू स्वामी रामदेव भी शामिल हुए। आपको बता दें कि देश में सनातन धर्म को लेकर उस समय विवाद शुरू हो गया जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की है। इसके बाद हंगामा हो गया है।

देश में चल रहे सनातन धर्म विवाद के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म से ही संसार चल रहा है और चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि इसे नष्ट करने की बात करना कुल्हाड़ी पर पैर रखने के समान है। भागवत ने कहा कि मुझे ऐसे लोगों पर दया आती है जो ऐसा कहते हैं, मैं उन पर क्रोधित नहीं हूं। ऐसे बयान ज्ञान की कमी के कारण हैं। सनातन की रक्षा कैसे करें ये संतों ने पहले ही बता दिया है। रोहतक स्थित श्री बाबा मस्तनाथ मठ में ब्रह्मलीन महंत चांदनाथ योगी की स्मृति में शंखढाल व मूर्ति स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में  हिस्सा लेने मोहन भागवत पहुंचे थे।

मोहन भागवत के अलावा इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ और योगगुरू स्वामी रामदेव भी शामिल हुए। आपको बता दें कि देश में सनातन धर्म को लेकर उस समय विवाद शुरू हो गया जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की है। इसके बाद हंगामा हो गया है। उदयनिधि ने कहा कि इसका सिर्फ विरोध नहीं होना चाहिए। इसका सफाया होना चाहिए। उन्होंने ‘सनातन धर्म’ की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू बुखार से भी की और कहा कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं बल्कि उन्हें नष्ट कर देना चाहिए। 

इससे पहले मोहन भागवत ने कहा कि भारत की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति धर्मनिरपेक्ष है और उन्होंने लोगों से एकजुट रहकर दुनिया के सामने मानव व्यवहार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण पेश करने का आह्वान किया। भागवत ने लोगों से अपनी मातृभूमि के लिए भक्ति, प्रेम और समर्पण का भाव रखने की अपील की। उन्होंने कहा, हम अपनी मातृभूमि को हमारी राष्ट्रीय एकता का एक जरूरी हिस्सा मानते हैं। कुछ वर्ष पहले घर वापसी विवाद के दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी मुलाकात का संदर्भ देते हुए भागवत ने कहा, उन्होंने (प्रणब ने) कहा था कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है। वह कुछ देर के लिए चुप रहे और उसके बाद कहा कि हम हमारे संविधान की वजह से ही धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं बल्कि संविधान की रचना करने वाले महान नेताओं के कारण भी धर्मनिरपेक्ष हैं क्योंकि वे धर्मनिरपेक्ष थे। भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति की बातों को याद करते हुए कहा, वह फिर क्षण भर के लिए रुके और उसके बाद कहा कि हम तभी से धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं।

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