Mental Health: मेंटल हेल्थ आपकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ को कर सकता है प्रभावित, घातक बन सकता है स्ट्रेस

अक्सर हम सभी मेंटल हेल्थ के बारे में कई बातें सुनते हैं। लेकिन सीधे तौर पर कई लोग मेंटल हेल्थ के बारे में बात करने से कतराते हैं। बता दें हमारी मेंटल हेल्थ सीधे तौर पर फिजिकल हेल्थ से जुड़ी होती है। इसलिए तनाव या चिंता होने पर हमें सिरदर्द या फिर थकावट महसूस होने लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी मानसिक हेल्थ आपके रिप्रोडक्टिव हेल्थ को भी प्रभावित करने का काम करती है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी तरह की परेशानी का महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। आज इस आर्टिकल में हम आपके इसी प्रश्न का उत्तर देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि आपकी मेंटल हेल्थ किस तरह से रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी होती है।

हार्मोन्स का असंतुलन

मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं जैस- डिप्रेशन, स्ट्रेस और एंग्जायटी आपके रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स को नुकसान कर सकती हैं। क्योंकि ज्यादा तनाव होने पर कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे स्ट्रेस हार्मोन्स का उत्पादन ज्यादा होने लगता है। जोकि प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स को नुकसान पहुंचाने लगता है। वहीं हार्मोन्स के असंतुलन की वजह से ओवुलेटरी डिसफंक्शन, पीरियड्स की अनियमितता और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

मेंस्ट्रुअल हेल्थ पर बुरा प्रभाव

स्ट्रेस लेने पर महिलाओं के मेंस्ट्रुअल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ सकता है। जिसकी वजह से पीरियड्स में अनियमितता या फिर पीरियड रुक सकते हैं। यह स्थिति पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी स्ट्रेस से जुड़ी स्थितियों को प्रभावित कर सकती है। जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकती है।

फर्टिलिटी को हो सकता है नुकसान

मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के होने पर कंसीव करने में समस्या आ सकती है। ना सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों में भी तनाव और चिंता जैसी स्थितियां  लिबिडो और सेक्सुअल डिजायर में कमी ला सकती हैं। इस समस्या के होने पर जहां पुरुषों में स्पर्म प्रोडक्शन और महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या होने लगती है। जो कंसीव करने में मुश्किलें पैदा करती हैं। 

बिहेवियर में बदलाव

अगर आपकी मानसिक हेल्थ कंट्रोल में नहीं है, तो इसके पीछे आपकी खराब लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार हो सकती है। जैसे शराब पीना, अनहेल्दी खाना और धूम्रपान जैसे आदतों के कारण भी यह स्थिति हो सकती है। इस सभी आदतों के चलते आपके रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। 

कैसे करें सुधार

किसी भी समस्या पर ज्यादा स्ट्रेस न लें, क्योंकि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।

हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें और पर्याप्त नींद जरूर लें।

रोजाना रूटीन में मेडिटेशन को शामिल करें। थोड़ा समय खुद को भी दें, क्योंकि इससे आपकी मेंटल हेल्थ बेहतर होगी और प्रजनन स्वास्थ्य को भी फायदा मिलेगा।

अगर आपको इमोशंस कंट्रोल करने में मुश्किल आ रही है, तो किसी करीबी से अपनी परेशानी शेयर कर सकते हैं। या फिर डायरी में अपनी भावनाओं को लिख सकते हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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