देश में मेडिकल एजुकेशन की रेग्युलेटरी बॉडी नैशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने Maharshi Charak Shapath को सिलेबस का हिस्सा बना दिया है. इसके अलावा, मेडिकल स्टूडेंट्स को अब पढ़ाई के पहले साल से ही कम्यूनिटी हेल्थ ट्रेनिंग…
medical (Photo Credit: File Pic)
highlights
- एमबीबीएस के सिलेबस में अहम बदलाव
- अब महर्षि चरक की शपथ लेंगे एमबीबीएस स्टूडेंट
- छात्रों एक गांव भी लेंगे होंगे गोद
नई दिल्ली:
अब डॉक्टर बनने के लिए एमबीबीसी की पढ़ाई करनी है, तो अब महर्षि चरक शपथ लेनी पड़ेगी. अब ‘हिप्पोक्रेटिक शपथ’ को ‘महर्षि चरक शपथ’ (Maharshi Charak Shapath) से बदल दिया गया है. यही नहीं, इस बार एमबीबीएस का सिलेबस बदला जा रहा है, जिसमें कई अहम बदलाव हैं. इसमें पढ़ाई पूरी कर निकलने से पहले एक एग्जिट टेस्ट भी होगा, उसे पास करने के बाद ही एमबीबीएस की डिग्री मिलेगी, साथ ही वो टेस्ट आपकी आगे की पढ़ाई के लिए एंट्री देने का भी काम करेगा. जी हां, इस साल से दाखिला लेने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए नैशनल एग्जिट टेस्ट भी जरूरी बना दिया गया है. यह MBBS फाइनल एग्जाम की तरह होगा और इसी के आधार पर पीजी कोर्सों में दाखिले होंगे.
एमबीबीसी कोर्स में इस तरह के बदलाव
देश में मेडिकल एजुकेशन की रेग्युलेटरी बॉडी नैशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने Maharshi Charak Shapath को सिलेबस का हिस्सा बना दिया है. इसके अलावा, मेडिकल स्टूडेंट्स को अब पढ़ाई के पहले साल से ही कम्यूनिटी हेल्थ ट्रेनिंग करनी होगी. उन्हें कोई गांव गोद भी लेना पड़ेगा. 10 दिन का योगा कोर्स (yoga course) भी करना होगा. कुछ कोर्सों को भी आगे-पीछे किया गया है.महर्षि चरक शपथ को सिलेबस में जोड़कर मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य बनाए जाने की जानकारी ऐसे समय सामने आई है, जब हाल ही में सरकार की तरफ से संसद में इसे लेकर स्पष्टीकरण दिया गया था. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में सवाल के जवाब में कहा था, “राष्ट्रीय मेडिकल आयोग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ से बदलने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.” बताया जाता है कि यह नई शपथ महर्षि चरक की लिखी पुस्तक ‘चरक-संहिता’ से ली गई है. महर्षि चरक को दुनिया में सबसे प्राचीन कही जाने वाली आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का शीर्ष विशेषज्ञ माना जाता है.
कई कोर्स भी आगे-पीछे किए गए, योगा कोर्स भी हुआ शामिल
एमबीबीएस सिलेबस में फॉरेंसिक और टॉक्सिकोलॉजी जैसे विषय जो दूसरे साल में पढ़ाए जाते थे, उन्हें तीसरे साल के कोर्स में जोड़ दिया गया है. इसके अलावा नई गाइडलाइंस में मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए 10 दिन के योगा फाउंडेशन कोर्स का भी सुझाव दिया गया है. ये कोर्स हर साल 12 जून से शुरू होगा और 21 जून को योग दिवस पर पूरा होगा. इसे सभी कॉलेजों में कराया जाएगा. हालांकि कॉलेज तय कर सकेंगे कि इसे किस तरह कराया जाए. एक्सप्रेस के मुताबिक, रिवाइज्ड करिकुलम में अब मेडिकल स्टूडेंट्स को कोर्स के पहले साल से ही कम्यूनिटी हेल्थ ट्रेनिंग में हिस्सा लेना होगा. इसके तहत उन्हें कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों की विजिट करनी होगी और ऐसे गांवों को गोद लेना होगा, जहां प्राइमरी हेल्थ सेंटर नहीं हैं. डॉक्टर बताते हैं कि मौजूदा करिकुलम में कम्यूनिटी मेडिसिन पढ़ाई के तीसरे साल में आती है.
First Published : 01 Apr 2022, 10:56:32 AM