मुलायम सिंह यादव के गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में बसपा ने इस बार भी अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। ऐसे में सपा और भाजपा दोनों ही दल बसपा वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की जुगत में थे। बृहस्पतिवार को आए उपचुनाव के परिणामों ने ये साफ कर दिया कि बसपा वोट बैंक ने साइकिल को ही रफ़्तार देने का काम किया। इसी के चलते कमल यहां मुरझाता रहा और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव शुरुआत से ही बढ़त बनाए रहीं। आखिर में उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई।
जिले में बसपा का एक बड़ा वोट बैंक हैं। इसमें डेढ़ लाख के करीब जाटव वोट के साथ ही अन्य छिटपुट वोट भी शामिल हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने मैनपुरी सीट के उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने से हाथ खड़े कर दिए थे। ऐसे में ये वोट बैंक बिना किसी दबाव के किसी के सभी समर्थन के स्वतंत्र था।
मतदान तक किसी को भी पता नहीं था कि आखिर बसपा का ये वोट बैंक किसे अपना समर्थन देगा। लेकिन बृहस्पतिवार को उपचुनाव के परिणामों ने ये साफ कर दिया कि बसपा का वोट बैंक इस बार सपा के साथ ही रहा। नेताजी को श्रद्धांजलि स्वरूप बसपा ने भी अपना प्यार सपा प्रत्याशी पर ही लुटाया। इसी का नतीजा रहा कि सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की जीत का आंकड़ा इतना ऊपर चला गया।
मैनपुरी उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत के साथ डिंपल यादव ने नया कीर्तिमान भी बनाया। वह मैनपुरी की पहली सांसद होंगी। पूर्व में हुए लोकसभा चुनावों में कोई महिला प्रत्याशी जीत नहीं सकी थी। मैनपुरी लोकसभा सीट के तीन चुनावों में चार बार महिला प्रत्याशी भी लड़ीं, लेकिन जीत का ताज इनसे कोसों दूर रहा।
वर्ष 2004 के उपचुनाव में जहां कांग्रेस के टिकट पर सुमन चौहान ने चुनाव लड़ा था तो वहीं 2009 में भाजपा से तृप्ति शाक्य और और 2014 में बसपा से डॉ. संघमित्रा मौर्या और निर्दलीय प्रत्याशी राजेश्वरी देवी ने चुनाव लड़ा था, लेकिन कोई भी महिला प्रत्याशी नहीं जीत सकी। 2022 के उपचुनाव में डिंपल ने यह कमाल कर दिखाया।