मतदान कम होने के पीछे का कारण उपचुनाव में मतदाताओं द्वारा दिलचस्पी कम लेना रहा। मौसम खुश मिजाज होने के बाद भी मतदाता घरों से कम निकले। कुल मिलाकर प्रचार प्रसार का भी अभाव उपचुनाव में देखने को मिला। प्रशासन ने भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए कोई पहल नहीं की। नतीजा रहा कि मतदान प्रतिशत औंधे मुंह गिर गया। घटे मतदान से किसको नफा (फायदा) और नुकसान होगा, यह आठ दिसंबर को पता चलेगा।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव में कमल खिलाने की जुगत में जुटे भाजपा नेताओं की राह मतदान के बाद और भी कठिन हो सकती है। दरअसल बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत हमेशा ही भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होता है, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत बजाय बढ़ने के कम हो गया है। इससे भाजपा को झटका लग सकता है। लोकसभा का क्षेत्र का अहम भाग भोगांव विधानसभा सीट पर हमेशा ही साइकिल पंचर होती रही है, लेकिन यहां भी इस बार मतदान प्रतिशत घटकर 51.20 पर आ गया है। ऐसे से भी आगे निकलना भाजपा के लिए भारी हो सकता है।
कब कितना हुआ मतदान
वर्ष – प्रतिशत
1952 – 40.97
1957 – 50.04
1962 – 58.55
1967 – 59.47
1971 – 39.36
1977 – 62.03
1980 – 54.24
1984 – 61.53
1989 – 54.15
1991 – 50.74
1996 – 59.49
1998 – 59.34
1999 – 52.30
2004 – 59.46
2009 – 49.67
2014 – 60.46
2019 – 57.37
2022 – 54.37
सबसे अधिक 58.27 प्रतिशत मतदान जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में हुआ। वहीं सबसे कम मतदान भोगांव विधानसभा क्षेत्र में 51.20 प्रतिशत हुआ। मतदान की प्रक्रिया सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक चली। सुरक्षा की दृष्टि से मतदान केंद्रों पर अर्द्धसैनिक बल के साथ ही पुलिस, पीएसी व होमगार्ड की तैनाती की गई थी।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद थे। उनके निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई थी। इसी के तहत इस सीट पर उपचुनाव कराया गया। मुकाबला सपा और भाजपा के बीच रहा। सपा ने मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव को तो वहीं भाजपा ने रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था।