Maharashtra-Karnataka Border Issue पर बोले Sharad Pawar, हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए

ANI

अपने बयान में शरद पवार ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे की कर्नाटक के मुख्यमंत्री से बात करने के बावजूद, उन्होंने इस मुद्दे पर कोई नरमी नहीं दिखाई है। इसके साथ ही उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसी को भी हमारे (महाराष्ट्र) धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और यह गलत दिशा में नहीं जाना चाहिए।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इसको लेकर राजनीतिक वार-पलटवार का भी दौर लगातार जारी है। दोनों ओर से एक दूसरे को टारगेट करने की भी कोशिश हो रही है। जहां महाराष्ट्र में कर्नाटक की बसों पर कालिख पोती जा रही है। वहीं, कर्नाटक के बेलगावी में भी महाराष्ट्र के खिलाफ जबरदस्त विरोध हो रहा है। बेलगावी में महाराष्ट्र के ट्रकों को रोककर उन पर काली स्याही लगा दी गई है। साथ ही साथ पथराव भी किया गया है। कुल मिलाकर देखें तो दोनों राज्यों के बीच का सीमा विवाद अब लगातार बढ़ता जा रहा है। इन सब के बीच महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार का भी बयान सामने आया है। शरद पवार ने अपने बयान में साफ तौर पर कहा है कि हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। 

अपने बयान में शरद पवार ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे की कर्नाटक के मुख्यमंत्री से बात करने के बावजूद, उन्होंने इस मुद्दे पर कोई नरमी नहीं दिखाई है। इसके साथ ही उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसी को भी हमारे (महाराष्ट्र) धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और यह गलत दिशा में नहीं जाना चाहिए। इसके साथ ही एनसीपी प्रमुख ने कहा कि सीएम शिंदे को कोई भी फैसला लेने से पहले सभी पार्टियों को विश्वास में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद सत्र शुरू होने वाला है, मैं सभी सांसदों से एक साथ आने और इस पर स्टैंड लेने का अनुरोध करता हूं। वहीं, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री से बात की और बेलगावी के पास हिरेबगवाड़ी में हुई घटनाओं पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। 

उपमुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि सीएम बोम्मई ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने फडणवीस को आश्वासन दिया कि महाराष्ट्र से आने वाले वाहनों की सुरक्षा की जाएगी। इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने दोनों राज्यों के लोगों के बीच सद्भाव नहीं बिगड़ना चाहिए और उन्होंने राज्य की सीमाओं तथा यहां व अन्य राज्यों में कन्नड़ भाषियों के हितों की रक्षा के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि सीमा विवाद को लेकर कानूनी जंग में कर्नाटक की जीत होगी क्योंकि राज्य का रुख कानूनी व संवैधानिक दोनों है।  

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