Maha Shivratri 2024: भगवान शिव को भूलकर भी न चढ़ाएं तुलसी के पत्ते, जानें वजह

ईशा बिरोरिया/ ऋषिकेश.महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को अभिषेक और पूजा के दौरान कई सारी वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त दूध, दही, घी, शहद, बेलपत्र, धतूरा, काशीफल, कंदमूल, फूल समेत और भी कई चीजें चढ़ाते हैं.ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करते हैं. क्या आप जानते हैं कि भोलेनाथ को कभी भी तुलसी की पत्तियां नहीं चढ़ानी चाहिए. ऐसा करने पर वह नाराज हो जाते हैं.

Local 18 से बातचीत में उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर के महंत रामेश्वर गिरी बताते हैं कि भगवान शिव को भक्त कई चीजें चढ़ाते हैं लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जो उन्हें भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए. माना जाता है कि तुलसी श्रापित है और शिवजी द्वारा उनके पति का वध किया गया था, इसीलिए भगवान शिव की किसी भी पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. शिवपुराण के अनुसार पूर्व जन्म में तुलसी का यह पौधा वृंदा नामक एक लड़की थी, जिसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था और विवाह राक्षस जालंधर से हुआ था. वृंदा भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी. जालंधर के युद्ध के दौरान वृंदा अनुष्ठान में बैठी थी और क्योंकि वह एक पतिव्रता स्त्री थी. इस कारण देवता जालंधर का वध नहीं कर पा रहे थे. लाख कोशिशों के बाद भी जब देवता जालंधर का वध न कर सके, तो सभी भगवान विष्णु के पास पहुंचे.

क्यों भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती तुलसी?
वह आगे बताते हैं कि सबकी बात सुनने के बाद भगवान विष्णु ने राक्षस जालंधर का रूप लिया और वृंदा के पास चले गए, जिसे देख वृंदा अनुष्ठान से उठ गई. चूंकि वृंदा एक पतिव्रता स्त्री थी और भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी, इसलिए कोई भी जालंधर का वध नहीं कर पा रहा था. तब भगवान विष्णु ने वृंदा को श्राप दिया कि वह लकड़ी बन जाए. जैसे ही वृंदा का प्रतिव्रता धर्म नष्ट हुआ, भगवान शिव ने राक्षस जालंधर का वध कर दिया. वृंदा ने जब जालंधर का कटा हुआ सिर देखा, तो क्रोधित होकर उसने भी भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया. सभी देवताओं के निवेदन के बाद उसने श्राप वापस लिया और वह सती हो गई. जिसके बाद भगवान विष्णु ने राख से निकले उस पौधे को तुलसी नाम दिया. तभी से भगवान विष्णु की हर पूजा में उन्हें शामिल किया जाता है, लेकिन शिवजी द्वारा उनके पति की हत्या हुई थी और जालंधर की हत्या करने के लिए तुलसी को श्राप दिया गया था, इसीलिए भगवान शिव की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

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