Madhya Pradesh History: ‘भारत का हृदय’ है मध्यप्रदेश, जानिए इसका इतिहास

मध्यप्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। मध्यप्रदेश को ‘भारत का हृदय’ भी कहा जाता है। इस राज्य का इतिहास, भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता लोगों को बरबस अपनी ओर खींचता है। यह राज्य भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल है। भोपाल झीलों के शहर के नाम से फेमस है। यह देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है। जो चारों तरफ से दूसरे राज्यों से घिरा होता है। 

मध्यप्रदेश के उत्तर में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में राजस्थान और गुजरात, दक्षिण में महाराष्ट्र और पूर्व में छत्तीसगढ़ है। 1 नवम्बर 2000 तक मध्य प्रदेश भारत का क्षेत्रफल की आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इसी दिन मध्य प्रदेश से 16 जिले अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गई थी। मध्य प्रदेश का इतिहास पुरापाषाण युग से ही शुरू हो हुआ है। इसे मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है।

प्राचीन मध्य प्रदेश

वर्तमान में भीमबैठिका की गुफाएं मध्य प्रदेश में स्थित है। नर्मदा नदी घाटी के विभिन्न स्थानों पर पाषाण युग के उपकरणों को भी पाया गया है। महेश्वर, नागदा, एरान, कायथ व नवदतोली सहित कई जगहों पर ताम्रयुगीन स्थानों की खोज की गई है। मध्यप्रदेश के कई स्थानों पर 30000 ईसा पूर्व के गुफा चित्रों की खोज की गई है। वर्तमान समय में मध्यप्रदेश में बस्तियां मुख्य रूप से नर्मदा, चम्बल व बेतवा जैसी नदियों की घाटियां विकसित हुई हैं। 

मध्यकालीन मध्य प्रदेश

हूणों के आक्रमण के बाद गुप्त वंश के शासकों के पतन के साथ ही भारतवर्ष कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया है। मालवा के राजा यशोवर्मन ने गोर हूणों को हराने के साथ ही उनके प्रचार-प्रसार रोकने का काम किया था। थानेसर के राजा हर्षवर्धन ने अपनी मृत्यु से पहले उत्तर भारत को पुनर्गठित किया। मध्यकाल समय में राजपूत, मालवा के परमार, बुंदेलखंड के चंदेल शासकों ने शासन किया। चंदेल शासकों ने खजुराहो के मंदिर का निर्माण करवाया था।

इसी दौरान महाकौशल व गोंडवाना क्षेत्र में गोंड साम्राज्य का जन्म हुआ। वहीं 13वीं सदी में पश्चिमी मध्य प्रदेश पर तुर्कों ने अपना शासन चलाया था। दिल्ली सल्तनत के पतन के बाद अन्य क्षेत्रीय राजाओं का आविर्भाव हुआ था। जिसमें ग्वालियर के गोमर वंश और मालवा की मुस्लिम सल्तनत प्रमुख थी।

आधुनिक मध्य प्रदेश

देश की आजादी के बाद मध्यप्रदेश को तीन भागों में बांटा गया था। भाग क की राजधानी नागपुर व भाग ख की राजधानी ग्वालियर बनाई गई। वहीं भाग ग की राजधानी रीवा रखी गई। पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर साल 1956 में मध्यप्रदेश का गठन भाषीय आधार पर किया गया था। उस दौरान राज्य में कुल 79 रियासतें थी। इसकी राजधानी भोपाल रखी गई। उस समय में राज्य में 8 संभाग और 43 जिले थे।

फिर 26 जनवरी 1972 को दो नए जिले भोपाल व राजनंदगांव का गठन किया गया। जिसके बाद दिग्विजय सरकार द्वारा 10 और नए जिलों के निर्माण का फैसला लिया गया। इसके बाद सिंहदेव कमेठी के आधार पर 6 और नए राज्यों का गठन किया गया था। इस तरह से साल 1998 में राज्य में जिलों के संख्या 61 हो गई थी। लेकिन छत्तीसगढ़ के गठन के दौरान मध्य प्रदेश से 16 जिले कम कर दिए गए। वहीं 15 अगस्त 2003 को 3 नए जिलों का निर्माण किया गया। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 52 जिले और 10 संभाग है। 1 अक्टूबर 2018 में मध्यप्रदेश का 52वां जिला निवाड़ी अस्तित्व में आया था।

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