Madhya Pradesh: ओंकारेश्वर में शिवराज ने किया आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का अनावरण, जानें इसके बारे में

शिवराज ने कहा कि हम गौरवान्वित है कि मध्यप्रदेश की धरती पर आध्यात्मिक जगत की इस अप्रतिम विभूति ने ज्ञान प्राप्त कर राष्ट्र को एकात्मता के दिव्य भाव से भर दिया। भावी पीढ़ियां इस अपूर्व स्मारक का दर्शन कर युग-युगांतर तक शंकराचार्य जी के महान अवदान से परिचित होती रहेंगी।

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। उद्घाटन समारोह के दौरान सीएम शिवराज चौहान ने ओंकारेश्वर में भव्य प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर स्थल पर पूजा-अर्चना की। उन्होंने ट्वीट पर लिखा कि आध्यात्मिक ऊर्जा से अनुप्राणित आचार्य शंकर के श्रीचरणों में ही शुभता और शुभत्व है। संपूर्ण जगत के कल्याण का सूर्य अद्वैत के मंगलकारी विचारों में ही निहित है। उन्होंने यह भी लिखा कि जीव मात्र में एक ही ब्रह्म की सत्ता का दर्शन कर अद्वैत वेदांत का प्रतिपादन करने वाले आदि शंकराचार्य जी ने भारत को जिस सांस्कृतिक धरातल पर एक सूत्र में पिरोया, वह युग-युगांतर के लिए उनका अद्भुत प्रदेय है। एकात्म धाम की स्थापना आचार्य शंकर के महान व्यक्तित्व और कृतित्व के अनुरूप कृतज्ञता ज्ञापन है।

शिवराज ने कहा कि हम गौरवान्वित है कि मध्यप्रदेश की धरती पर आध्यात्मिक जगत की इस अप्रतिम विभूति ने ज्ञान प्राप्त कर राष्ट्र को एकात्मता के दिव्य भाव से भर दिया। भावी पीढ़ियां इस अपूर्व स्मारक का दर्शन कर युग-युगांतर तक शंकराचार्य जी के महान अवदान से परिचित होती रहेंगी। मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव होने है। माना जा रहा है कि शिवराज का यह कमद भाजपा को भायदा दिला सकता है। आदि गुरु शंकराचार्य महाराज ने देश को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का काम किया। उन्होंने वेदों के सार को आम लोगों तक पहुंचाने का काम किया। उन्होंने देश के चार कोनों में चार मठ भी बनवाये। इसने भारत को सांस्कृतिक रूप से एकजुट रखने का काम किया। उसी के कारण आज भारत एकजुट है। उनका जन्म स्थान केरल था लेकिन उन्हें ज्ञान ओंकारेश्वर में प्राप्त हुआ। वह जंगलों के रास्ते 1,600 किलोमीटर से अधिक पैदल चला था। उन्हें वहां एक गुरु मिले और वहां से ज्ञान प्राप्त करने के बाद वे काशी (उत्तर प्रदेश में वाराणसी) की ओर चले गये। पूरा देश, जो उस समय सांस्कृतिक विघटन की स्थिति में था, पूरी तरह से एकजुट था। 

भव्य प्रतिमा के बारे में 

ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ के रूप में जाना जाएगा। नर्मदा नदी के सुरम्य तट पर स्थित, ओंकारेश्वर इंदौर के हलचल भरे शहर से लगभग 80 किमी दूर है। विस्मयकारी बहु-धातु मूर्तिकला 54 फुट ऊंचे आसन पर खड़ी है और इसकी ऊंचाई 108 फुट है। 

एकात्म धाम – एकता की यात्रा 

9 फरवरी, 2017: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची प्रतिमा, अद्वैत लोक संग्रहालय और आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान के निर्माण की घोषणा की।

1 मई 2017: शंकर जयंती समारोह

9 दिसंबर 2017 से 22 जनवरी 2018: एकात्म यात्रा

22 जनवरी 2018: एकात्म पर्व

27 जनवरी 2018: आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास का गठन

8 से 10 दिसंबर, 2019: अद्वैत उत्सव

4 जून, 2022: एलएंडटी ने स्टेट ऑफ वननेस निर्माण अनुबंध जीता

आचार्य शंकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अद्वैत वेदांत:

यह अद्वैत वेदांत के अध्ययन और प्रचार के लिए एक समन्वय केंद्र, अनुसंधान केंद्र और संसाधन केंद्र होगा।

– अद्वैत दर्शन के लिए आचार्य पद्मपाद केंद्र

– आचार्य हस्तामलका अद्वैत विज्ञान केंद्र

– सामाजिक विज्ञान के लिए आचार्य सुरेश्वर अद्वैत केंद्र

– साहित्य, संगीत और कला के लिए आचार्य टोटका अद्वैत केंद्र

– महर्षि वेदव्यास अद्वैत पुस्तकालय

– आचार्य गौड़पाद अद्वैत विस्तार केंद्र

– आचार्य गोविंदा भगवत्पाद गुरुकुल

– शारदा मंदिर

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