रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजनीति में जांजगीर जिले का अपना दखल और दबदबा रहा है. भाजपा हो या कांग्रेस राजनीति में बड़ा चेहरा जरूर इस जिले से बनते है. मगर आजादी के बाद से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद भी जिले में विकास हो नहीं पाया. जांजगीर जिले और लोकसभा के मतदाता ऐसे हैं कि जिनकी सत्ता होती है उस दल का विधायक नहीं चुनते. 24 साल में एक बार ऐसा हुआ था जब भाजपा की सत्ता थी, तब एक बार विधायक इस दल का था. अब लोकसभा चुनाव है और प्रदेश में भाजपा की सरकार है. मगर विधानसभा की 8 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई है.
जांजगीर जिला कृषि प्रधान इलाका है. यहां उद्योग भी लग गए है, मगर विकास के नाम पर जिले में कुछ ऐसा नहीं है जिसे नेता गिना सकें. यहीं वजह है कि जिले के मतदाता नाराज होकर विपरीत चुनाव करती है. जानकार माननते है कि इससे विकास और भी प्रभावित होता है.
8 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने भाजपा को सिर पर बैठाया, मगर जांजगीर लोकसभा के 8 सीटों पर भाजपा की करारी हार हुई. 2018 के विधानसभा चुनाव में जांजगीर जिले की जनता ने 6 विधानसभा में दो भाजपा, दो बसपा और दो कांग्रेस के विधायकों को जिताया, जिससे विकास प्रभावित हुआ. तब कांग्रेस की सरकार थी. अब भाजपा को यह घातक रहा है कि आखिर जनता ने इतनी बड़ी हार क्यों दी. यही वजह है कि जांजगीर लोकसभा को लेकर भाजपा के बड़े नेता मंथन करने में जुटे हैं.
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जांजगीर जिले से मिनीमाता, बिसाहुदास महंत, दिलीप सिंह जुदेव, चरणदास महंत, नारायण चंदेल ,करुणा शुक्ला, भवानी लाल वर्मा जैसे नेताओं ने प्रतिनिधित्व किया. राजनीतिक में कई बड़े नेताओँ ने प्रदेश के अध्यक्ष के रूप में काम संभाला है. 1994 में जांजगीर लोकसभा सीट आरक्षित हुआ तब करुणा शुक्ला सांसद थी.
जांजगीर लोकसभा सीट पर एक नजर
1989 में बीजेपी ने पहली बार जीती थी जांजगीर लोकसभा सीट
दिलीप सिंह जूदेव ने 1989 में खोला था बीजेपी का खाता
इससे पहले 5 चुनावों में दूसरी नंबर पर रही थी बीजेपी
जांजगीर लोकसभा में आती हैं 8 विधानसभा सीट
वर्तमान में जांजगीर लोकसभा में आने वाली सभी 8 विधानसभा सीटों पर है कांग्रेस का कब्जा
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Tags: BJP, Chhattisgarh news
FIRST PUBLISHED : February 23, 2024, 18:42 IST