
lok sabha election
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लोकसभा चुनाव में बीते चुनाव खर्च की सीमा बीते दो दशक में करीब करीब चार गुना तक बढ़ गई है। वहीं, चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी पांच से छह गुना तक खर्च कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में प्रत्याशी 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भारत निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य की आबादी और मतदाताओं की संख्या के हिसाब से राज्यवार चुनाव खर्च की सीमा तय की जाती है। प्रत्याशी चुनाव के दौरान निर्धारित सीमा से अधिक राशि खर्च नहीं कर सकते हैं। इसमें प्रत्याशी की सार्वजनिक बैठकों, रैलियों, विज्ञापनों, पोस्टर, बैनर, वाहनों और विज्ञापन का खर्च शामिल होता है।
लोकसभा चुनाव 2004 में चुनाव खर्च की सीमा 30 लाख रुपये थी। जो आगामी चुनाव के लिए बढ़ाकर 95 लाख रुपये की गई है। 1951 में पहले आम चुनाव में देश में 10.5 करोड़ रुपये चुनाव पर खर्च किए गए थे। जो 2019 में बढ़कर 6600 करोड़ तक पहुंच गए।
मुद्रास्फीति सूचकांक से तय होती है दरें
चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने 2020 में एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट पर चुनाव खर्च की सीमा 70 से बढ़ाकर 95 लाख रुपये की गई है। चुनाव खर्च की सीमा मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर तय होती है। बीते वर्षों में सेवाओं और वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि के आधार पर खर्च की सीमा तय की जाती है।